OpenAI ChatGPT, XAI Grok और Google Gemini लोगों के बीच काफी फेमस हो गए हैं। ये टूल्स सिर्फ सवालों के जवाब देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इंसानों जैसी बातचीत करने में भी माहिर हो गए हैं।
How AI Tool Works: AI ने हाल ही के सालों में टेक्नोलॉजी वर्ल्ड में बड़ा बदलाव ला दिया है। खासकर चैट टूल्स जैसे OpenAI ChatGPT, XAI Grok और Google Gemini लोगों के बीच काफी फेमस हो गए हैं। ये टूल्स सिर्फ सवालों के जवाब देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इंसानों जैसी बातचीत करने में भी माहिर हो गए हैं। इन मॉडल AI LLM कहा जाता है। ये मॉडल भारी मात्रा में डेटा को एनालाइज करके इंसानों जैसे टेक्स्ट जनरेट करने में सक्षम होते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये AI टूल्स इतने स्मार्ट कैसे बनते हैं?
AI चैट टूल्स की ट्रेनिंग प्रक्रिया
AI चैट टूल्स को स्मार्ट बनाने के लिए मशीन लर्निंग की एक खास प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग कहा जाता है। इसमें AI को बातचीत समझने और जवाब देने के लिए तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
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डेटा संग्रहण
AI को सिखाने के लिए सबसे पहले बहुत सारे डेटा की जरूरत होती है। यह डेटा टेक्स्ट फॉर्मेट में होता है, जिसमें शामिल हो सकते हैं। जिनमें किताबें, लेख, वेबसाइट्स, सोशल मीडिया पोस्ट्स, चैट और बातचीत के रिकॉर्ड शामिल हैं। उदाहरण के लिए, ChatGPT और Grok जैसे मॉडल को इंटरनेट पर मौजूद अरबों शब्दों के डेटा से ट्रेन किया जाता है। इसी डेटा की मदद से वे अलग-अलग विषयों पर जानकारी दे पाते हैं।
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डेटा की सफाई और प्रोसेसिंग
डेटा को सीधे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसे पहले साफ और व्यवस्थित करना पड़ता है। इस प्रक्रिया में व्याकरण की गलतियां ठीक की जाती हैं, अनावश्यक जानकारी को हटाया जाता है, डेटा को एकसमान फॉर्मेट में लाया जाता है। इसके बाद डेटा को टोकनाइज किया जाता है, यानी शब्दों या वाक्यों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा जाता है, ताकि मशीन उन्हें समझ सके।
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मॉडल ट्रेनिंग
अब AI को ट्रेन करने के लिए न्यूरल नेटवर्क जैसे ट्रांसफॉर्मर मॉडल का उपयोग किया जाता है। ये मॉडल डेटा में छिपे हुए पैटर्न को पहचानते हैं। वे यह सीखते हैं कि लोग कैसे बात करते हैं, शब्दों का क्रम कैसा होता है, संदर्भ के हिसाब से सही जवाब कैसे देना है। यह प्रक्रिया बहुत ज्यादा कम्प्यूटेशनल पावर मांगती है और कभी-कभी हफ्तों या महीनों तक चलती है।
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फाइन-ट्यूनिंग
मॉडल के बेसिक ट्रेनिंग के बाद, इसे विशेष कार्यों के लिए फाइन-ट्यून किया जाता है। मानव फीडबैक इसमें अहम भूमिका निभाता है। इंसान मॉडल के जवाबों को रेट करते हैं और सुधार देते हैं। स्पेशल डेटा के जरिए मॉडल को भाषाओं और विषयों पर बेहतर तरीके से ट्रेन किया जाता है। कंटेंट मोडरेशन भी किया जाता है ताकि AI गलत, हानिकारक या पक्षपाती जवाब न दे।
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लगातार अपडेट
AI मॉडल को अप-टू-डेट बनाए रखने के लिए समय-समय पर नए डेटा के साथ अपडेट किया जाता है। इससे वे नए रुझानों को समझ पाते हैं, लेटेस्ट जानकारी देने में सक्षम होते हैं। इसके मुकाबले, पुराने मॉडल्स में मौजूद जानकारी सीमित होती है और वे सिर्फ अपने ट्रेनिंग पीरियड तक के डेटा पर आधारित होते हैं।
ट्रेनिंग के लिए डेटा कहां से आता है?
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इंटरनेट से डेटा
इंटरनेट AI के लिए सबसे बड़ा डेटा स्रोत है। इसमें वेबसाइट्स और ब्लॉग्स, ऑनलाइन किताबें, समाचार साइट्स और डिस्कशन फोरम्स शामिल हैं। उदाहरण के लिए, विकिपीडिया जैसी साइटों से जानकारी मिलती है, जिससे वह फैक्ट्स और जनरल नॉलेज के सवालों का जवाब दे सकता है।
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पब्लिक डोमेन सामग्री
कुछ डेटा ऐसे भी होते हैं, जो कॉपीराइट मुक्त होते हैं और कोई भी उनका इस्तेमाल कर सकता है। इसमें सरकारी दस्तावेज, ऐतिहासिक रिकॉर्ड और पुरानी किताबें शामिल हैं। ये डेटा AI को विश्वसनीय और प्रामाणिक जानकारी देने में मदद करते हैं।
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यूजर्स का कंटेंट
कई बार AI को सोशल मीडिया पोस्ट्स, कमेंट्स और चैट लॉग्स से भी डेटा मिलता है। हालांकि, ऐसा तभी होता है जब गोपनीयता नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है।
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कृत्रिम डेटा
अगर किसी विषय पर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं होता, तो AI खुद भी नकली डेटा बना सकता है।
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लाइसेंस्ड डेटा
कई कंपनियां प्रकाशकों या डेटा प्रोवाइडर्स से स्पेशल डेटासेट खरीदती हैं।आसान भाषा में कहें तो, AI को ट्रेन करने के लिए डेटा कई स्रोतों से लिया जाता है, लेकिन यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी को बनाए रखना हमेशा प्राथमिकता होती है।