DeepSeek R1 मॉडल ने 1,360 संवेदनशील टॉपिक्स में से 85% का जवाब देने से इनकार कर दिया है। इसके बजाय इसने राष्ट्रवादी दृष्टिकोण वाले पहले से लिखे उत्तर दिए, जिससे इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठे।
DeepSeek : DeepSeek-R1 नामक AI चैटबॉट ने पूरी दुनिया में काफी तहलका मचा दिया है। यह Apple के ऐप स्टोर सबसे टॉप रैंकिंग वाला ऐप बन गया है। इसकी कोस्ट-परफॉर्मेंस क्षमता ने OpenAI जैसी दिग्गज कंपनियों को भी चुनौती दी है। हालांकि, इस AI की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह तियानमेन स्क्वायर नरसंहार, ताइवान और अन्य संवेदनशील टॉपिक्स पर सवालों का जवाब देने से इनकार कर रहा है।
कई सवालों के जवाब देने से मना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, DeepSeek R1 मॉडल ने 1,360 संवेदनशील टॉपिक्स में से 85% सवालों का जवाब देने से मना कर दिया है। इसके बजाय इसने राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के साथ पहले से लिखे गए उत्तर लौटा दिए हैं, जिससे इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि DeepSeek को आसानी से jailbroken किया जा सकता है, जिससे यह साफ होता है कि इसके पास चीनी सरकार द्वारा लागू की गई सेंसरशिप को दरकिनार करने का एक अकुशल और सख्त तरीका है।
क्या है चीन का AI सेंसरशिप मॉडल
DeepSeek की सेंसरशिप को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निर्देशों के अनुसार काम कर रही है? यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब दुनिया भर में AI तकनीक और सेंसरशिप को लेकर बहस चल रही है।
DeepSeek की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता और इसकी सीमित स्वतंत्रता ने AI एक्सपर्टों और टेक्नोलॉजी उद्योग के दिग्गजों के बीच इस बात पर चर्चा तेज कर दी है कि क्या AI को राजनीतिक एजेंडे के अनुसार नियंत्रित किया जाना चाहिए