आजकल भारत में लगभग हर कोई UPI का इस्तेमाल कर रहा है। इससे जुड़ी एक बड़ी खबर आई है।
UPI News: NPCI ने बैंकों को ‘Check Transaction’ API का यूज तुरंत बंद करने का निर्देश दिया है। यह फैसला 12 अप्रैल को पांच घंटे तक चले UPI आउटेज के बाद लिया गया है, जो पिछले तीन सालों में सबसे लंबा रहा। दरअसल, कई बैंक बार-बार UPI ट्रांजैक्शन का स्टेटस चेक करते हैं। इससे NPCI के सिस्टम पर ज्यादा लोड पड़ता है, जिससे सर्वर स्लो हो जाता है और बड़ी संख्या में ट्रांजैक्शन अटक जाते हैं।
NPCI ने दिए नए निर्देश
- बैंकों को अब किसी भी UPI ट्रांजैक्शन के बाद 90 सेकंड तक स्टेटस चेक नहीं करना होगा।
- स्टेटस चेक की शुरुआती अनुमति 45 से 60 सेकंड के बाद ही होगी।
- 2 घंटे के भीतर केवल 3 बार ही स्टेटस चेक किया जा सकता है।
बैंक ऐसा क्यों करते हैं?
जब किसी ट्रांजैक्शन का कन्फर्मेशन तुरंत नहीं मिलता, तो बैंक दोबारा चेक करने लगते हैं। यह प्रक्रिया PSP बैंक की तरफ से होती है, जिससे उन्हें यह तय करने में मदद मिलती है कि आगे ट्रांजैक्शन भेजना है या नहीं, लेकिन बार-बार की गई यह चेकिंग सिस्टम पर भारी पड़ जाती है।
NPCI ने बैंकों को क्या कहा?
- फायरवॉल जरूरी: NPCI ने अब बैंकों से कहा है कि वे अपने सिस्टम में फायरवॉल लागू करें ताकि अनावश्यक API कॉल्स को रोका जा सके।
- सालाना ऑडिट कराना अनिवार्य: बैंकों को अब CERT-In (भारत सरकार की साइबर सिक्योरिटी एजेंसी) के पैनल में शामिल ऑडिटर्स से हर साल सिस्टम ऑडिट कराना होगा।
- रेट लिमिट पर विचार: अब तक API कॉल्स पर कोई रेट लिमिट नहीं थी क्योंकि NPCI मानता था कि कॉल की फ्रीक्वेंसी को कंट्रोल करना बैंकों की जिम्मेदारी है। लेकिन अब NPCI खुद कुछ खास UPI APIs पर रेट लिमिट लागू करने की तैयारी कर रहा है।