आज तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि हर दिन कोई न कोई नया आविष्कार हो रहा है जो हमारी जिंदगी को आसान बना रहा है।
New Technology: आज की दुनिया में टेक्नोलॉजी इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है कि हर दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है। आने वाले कुछ सालों में यानी 2030 तक ऐसी तकनीकें सामने आ सकती हैं जो हमारी ज़िंदगी को पहले से भी ज़्यादा स्मार्ट और आसान बना देंगी। ये तकनीकें न सिर्फ हमारे रोज़मर्रा के कामों को आसान करेंगी, बल्कि सोचने-समझने और फैसले लेने के तरीके को भी पूरी तरह बदल सकती हैं।
रोबोट खुद लेंगे फैसले
अभी तक रोबोट्स सिर्फ वही करते हैं, जो उन्हें इंसान बताते हैं, लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा। आने वाले समय में रोबोट्स खुद माहौल को देखकर फैसले ले सकेंगे। मसलन, किसी फैक्ट्री में मशीन खराब हो जाए, तो रोबोट खुद तय करेगा कि क्या करना है। अस्पतालों, गोदामों और बड़े-बड़े बिजनेस में ऐसे रोबोट्स बहुत काम आएंगे। Statista की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक रोबोटिक्स इंडस्ट्री का बाज़ार 250 अरब डॉलर से ज्यादा का हो सकता है।
स्पेशियल कंप्यूटिंग
स्पेशियल कंप्यूटिंग का मतलब है डिजिटल तकनीक को हमारी असली दुनिया में इस तरह शामिल करना कि वो हमारी रियल लाइफ का हिस्सा बन जाए। इसमें सेंसर, कैमरा और एडवांस प्रोसेसिंग का इस्तेमाल होगा जिससे आपको ऐसा लगेगा जैसे डिजिटल चीजे आपके सामने असली में मौजूद हैं।
इसका सबसे बड़ा असर गेमिंग, वर्चुअल मीटिंग और घर से काम करने वाले लोगों पर पड़ेगा। आप वर्चुअल तौर पर मीटिंग में ऐसे शामिल हो पाएंगे जैसे सभी लोग एक ही रूम में बैठे हों। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2030 तक स्पेशियल कंप्यूटिंग का बाज़ार 100 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकता है।
AI to AI कम्युनिकेशन
आज हम एआई से बात करते हैं चैटबॉट्स, गूगल असिस्टेंट या एलेक्सा जैसे वॉयस असिस्टेंट के ज़रिए। लेकिन आने वाले समय में AI खुद ही AI से बात करेगा। यानी मशीनें इंसान की मदद के बिना आपस में बातचीत करेंगी।
AI TRiSM
जैसे-जैसे AI का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसके साथ जुड़े खतरे भी सामने आ रहे हैं जैसे पक्षपात, डेटा लीक और सिक्योरिटी की दिक्कतें। इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए AI TRiSM एक नया तरीका है।ये तकनीक AI सिस्टम के हर पहलू का मूल्यांकन करेगी—क्या वो सही फैसले ले रहा है, क्या डेटा सुरक्षित है, और क्या इसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं है। आने वाले समय में कंपनियों के लिए ये बहुत जरूरी टूल बन सकता है ताकि वो AI का सुरक्षित और जिम्मेदारी से इस्तेमाल कर सकें।
Quantum Computing + AI
क्वांटम कंप्यूटिंग एक ऐसी तकनीक है जो पारंपरिक कंप्यूटर से कई गुना तेज काम कर सकती है। जब इसे AI के साथ जोड़ा जाएगा, तो इसकी पावर कई गुना बढ़ जाएगी। सोचिए, जो काम आज के कंप्यूटर को घंटों लगते हैं, वो क्वांटम AI कुछ ही मिनटों में कर सकेगा। इससे हेल्थकेयर, साइबर सिक्योरिटी, फाइनेंस जैसे सेक्टरों में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2030 तक इसका ग्लोबल मार्केट 15 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकता है।