AI Longevity: तकनीक ने इंसानों के जीवन को तेजी से बदल दिया है। लेकिन ऐसा कभी सोचा नहीं होगा कि तकनीक से इंसानों को लंबी उम्र ही नहीं, बल्कि बेहतर और सक्रिय जिंदगी भी मिल सकती है। 100 साल तक इंसान की जिंदगी तो समझ में आती है। लेकिन 150 साल तक इंसानों की उम्र बढ़ जाना असंभव सा लगता है। लेकिन नहीं, यह अब संभव भी हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में यही तकनीक इंसानों को लंबी उम्र के साथ-साथ सक्रिय जिंदगी भी दे सकती है। यह दावा सुनने में किसी साइंस फिक्शन मूवी की तरह लग सकता है, लेकिन Artificial intelligence आधारित शोध ने उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने का एक बिल्कुल नया रास्ता खोल दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों को लंबी और हेल्दी लाइफ देने की तैयारी में है। जानिए कैसे AI आपके शरीर, दिमाग और उम्र को बदल सकता है।
आ गया हेल्दी लाइफ का नया कॉन्सेप्ट
अब तक लंबी उम्र का मतलब अक्सर बुढ़ापे की बीमारियों में घिरे लंबा जीवन माना जाता था। लेकिन नई Ai Technology इस सोच को पलट रही है। वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में लोग न सिर्फ 120 से 150 साल तक जिंदा रह सकेंगे, बल्कि 100 की उम्र में भी एकदम फिट, सक्रिय और मानसिक रूप से तेज रहेंगे। यानी उम्र बढ़ेगी भी और क्वालिटी ऑफ लाइफ भी पहले से कई गुना बेहतर होगी।
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जहां वैज्ञानिक चूक जाते हैं वहीं से AI की एंट्री होती है
उम्र बढ़ने की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है। डीएनए, जीन, हार्मोन, खाना, नींद, तनाव, मौसम हर चीज इस पर असर डालती है। यहां AI सबसे बड़ा फर्क ला रहा है। AI शरीर में चल रही जीन की गतिविधियों को लगातार मॉनिटर करता है। जहां पिछली तकनीकें केवल एक समय की स्टैटिक फोटो देती थीं। उसे AI हर पल जीन की बदलती गतिविधियों को लाइव वीडियो की तरह पढ़ सकता है। इससे,
- हर व्यक्ति के लिए अलग इलाज तैयार हो सकेगा
- इलाज बिल्कुल सही समय पर हो सकेगा
- दवाओं के साइड इफेक्ट बेहद कम होंगे
- दिमागी क्षमता लंबे समय तक तेज बनी रहेगी
वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में 60-70 साल के लोग भी वैसी ही मानसिक फुर्ती रखेंगे जैसी एक युवा में होती है।
क्यों घटती है उम्र? वैज्ञानिकों ने निकाला तोड़
मानव शरीर हर दिन अरबों कोशिकाओं से बना है। उम्र के साथ इन कोशिकाओं के अंदर मौजूद डीएनए टूटता जाता है। जब शरीर ज्यादा ऊर्जा नई कोशिकाएं बनाने में खर्च करता है, तो पुरानी कोशिकाओं की मरम्मत पीछे छूट जाती है। यही वजह है कि शरीर थकने लगता है, दिमाग की धार कम हो जाती है और बीमारियां पनपने लगती हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर शरीर को नियंत्रित तरीके से ‘शॉक’ दिया जाए, तो कोशिकाएं स्वयं रिपेयरिंग मोड में आ जाती हैं। इसी सिद्धांत पर दवाओं के ट्रायल चल रहे हैं, जो उम्र बढ़ने की रफ्तार को धीमा कर सकते हैं।
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120 प्लस में दिखेंगे मानसिक रूप से फुर्तीले
टेक्नोलॉजी शोधकर्ता Dmitri Adler का कहना है कि AI इंसानों को सुपरहीरो नहीं बनाएगा, लेकिन उन्हें पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट, स्वस्थ और मजबूत जरूर बना देगा। आने वाले दशकों में वह दौर भी आ सकता है जब 100-120 साल की उम्र में भी लोग ट्रैक पर दौड़ते, जिम में वर्कआउट करते और मानसिक रूप से फुर्तीले नजर आएंगे।
अगर ऐसा संभव हुआ तो ऐसा भविष्य भी दे सकती है। तब बुढ़ापा बीमारी और लाचारी नहीं, बल्कि सक्रिय और स्वस्थ जीवन का दूसरा अध्याय होगा। फिलहाल, आनेवाले दिनों में ही पता चलेगा कि तकनीक इसमें कितने सफल रह पाता है।
