Google Visakhapatnam Project: भारत के पूर्वी तट पर एक बड़ा तकनीकी बदलाव होने वाला है। Google अपनी पहली बड़ी डेटा सेंटर क्लस्टर परियोजना के लिए विशाखापत्तनम को चुन चुका है। इस परियोजना में लगभग 10 बिलियन डॉलर का निवेश होगा जिसे Google का भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए अब तक का सबसे बड़ा डायरेक्ट निवेश माना जा रहा है।
Google का 10 बिलियन डॉलर निवेश भारत के डिजिटल भविष्य को बदल देगा। विशाखापत्तनम में बनने वाला यह डेटा सेंटर एशिया का सबसे बड़ा बनेगा और इसे तीन बड़े कैंपस में विकसित किया जाएगा।
क्या होगा इस परियोजना में
Google का यह डेटा सेंटर सिर्फ सर्वरों का समूह नहीं होगा। इसे एक बड़े डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर हब के रूप में बनाया जाएगा, जिसमें सबमरीन केबल्स, लैंडिंग स्टेशन और हाई-कैपेसिटी फाइबर नेटवर्क शामिल होंगे। इस परियोजना के सफल होने पर 2028 तक यह क्लस्टर काम करने लगेगा और भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय AI इंफ्रास्ट्रक्चर हब बनेगा।
तीन बड़े कैंपस होंगे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस क्लस्टर में तीन कैंपस बनाए जाएंगे। इसमें आदविवरम गांव और तरलुवाडा गांव और रामबिल्ली गांव शामिल है। इन तीनों कैंपस में कुल क्षमता 1 GW होगी, जिससे यह एशिया के सबसे बड़े डेटा सेंटर में से एक बन जाएगा।
आंध्र प्रदेश सरकार की मंजूरी
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की सरकार से उम्मीद है कि राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड इस परियोजना को जल्द मंजूरी देगा। Google के अधिकारी और राज्य के IT व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री नारा लोकेश इस प्रस्ताव पर 14 अक्टूबर को नई दिल्ली में चर्चा करेंगे।
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Google का सबसे बड़ा डायरेक्ट निवेश
सूत्रों के अनुसार, यह परियोजना Google और उसकी सहायक कंपनियों का भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा। Google दुनिया के 11 देशों में पहले से 29 डेटा सेंटर चला रहा है, लेकिन यह विशाखापत्तनम सेंटर भारत और एशिया में उसका सबसे बड़ा सेंटर होगा।
डेटा सिटी का भविष्य
मुख्यमंत्री नायडू ने पहले ही IT और कॉपीराइट कानून में बदलाव का सुझाव दिया था ताकि ‘डेटा सिटी’ की योजना को सफल बनाया जा सके। इस परियोजना के लिए तीन सबमरीन केबल्स और बड़े पैमाने पर मेट्रो फाइबर नेटवर्क की जरूरत होगी, जिससे विशाखापत्तनम को सीधे वैश्विक इंटरनेट से जोड़ा जा सकेगा।
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इस योजना के पूरा होने के बाद आंध्र प्रदेश सिर्फ डेटा स्टोरेज केंद्र नहीं बनेगा, बल्कि जानकारी के प्रवाह का एक महत्वपूर्ण गेटवे भी बन जाएगा। यह निवेश भारत में तकनीकी और आर्थिक क्षेत्र के लिए एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है।