Visa Stablecoin Payments: Visa Inc. ने एक पायलट प्रोग्राम लॉन्च किया है, जिसके तहत बैंक, रेमिटेंस प्रोवाइडर और दूसरे वित्तीय संस्थान प्री-फंडेड स्टेबलकॉइन का उपयोग कर अंतरराष्ट्रीय भुगतान कर सकेंगे। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय लेनदेन को तेज बनाना और अलग-अलग देशों में बड़ी मात्रा में नकद रखने की जरूरत को खत्म करना है।
वीजा का नया प्रोग्राम USDC और EURC स्टेबलकॉइन के साथ अंतरराष्ट्रीय भुगतान को सरल बनाएगा, बैंक और वित्तीय संस्थान अब बिना नकद रखे तेज लेनदेन कर सकेंगे।
इस प्रोग्राम में Visa डायरेक्ट का उपयोग किया जाएगा। Visa का रियल-टाइम पेमेंट प्लेटफॉर्म और इसमें सर्कल इंटरनेट ग्रुप के USDC और EURC स्टेबलकॉइन शामिल होंगे। मार्क नेलसन, Visa के प्रोडक्ट हेड बताते हैं कि यह प्रोग्राम खासतौर पर ग्राहकों की अंडरफंडेड अकाउंट्स की समस्या को हल करेगा जो कई बार भुगतान में देरी का कारण बनती है।
इस मामले में नेलसन का कहना है कि आज एक रेमिटेंस कंपनी को हर मार्केट में प्री-फंडेड अकाउंट रखना पड़ता है ताकि ग्राहक निकासी मांग को पूरा किया जा सके। अगर अचानक ज्यादा रिक्वेस्ट आ जाए और अकाउंट फंड न हो पाएं, तो सेवा बाधित हो सकती है। हमारा यह समाधान इसे रीयल-टाइम में हल करता है और रकम का बेहतर उपयोग संभव बनाता है।
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कैसे काम करेगा यह प्रोग्राम
Visa डायरेक्ट वर्तमान में 195 देशों में लगभग 11 बिलियन Visa कार्ड, बैंक अकाउंट और डिजिटल वॉलेट को सपोर्ट करता है। इस Stablecoins इंटीग्रेशन के साथ ग्राहक अपने अकाउंट को ग्लोबल स्तर पर रीयल-टाइम में फंड कर सकेंगे, जिससे पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की देरी, खासकर वीकेंड या छुट्टियों में, खत्म हो जाएगी।
Stablecoins का महत्व
स्टेबलकॉइन ऐसे डिजिटल टोकन हैं जिनकी वैल्यू किसी फिएट करेंसी जैसे अमेरिकी डॉलर से जुड़ी रहती है, जिससे उनकी कीमत स्थिर बनी रहती है। Visa ने 2021 में स्टेबलकॉइन इंटीग्रेशन शुरू किया था और अब यह धीरे-धीरे विभिन्न वित्तीय सेवाओं में अपनाया जा रहा है।
अब तक Visa ने 225 मिलियन डॉलर से अधिक का स्टेबलकॉइन लेनदेन किया है। यह कुल 16 ट्रिलियन डॉलर के भुगतान में भले ही छोटा हिस्सा हो, लेकिन स्टेबलकॉइन की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
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नियामकीय बदलाव और भविष्य
GENIUS एक्ट के पारित होने के बाद स्टेबलकॉइन को कानूनी मान्यता मिली है। नेलसन के अनुसार, इस एक्ट ने स्टेबलकॉइन की वैधता को मजबूत किया है, जिससे बड़ी संस्थाएं इसे अपनाने के लिए तैयार हुई हैं। Visa इस पायलट प्रोग्राम को अगले साल और भी बढ़ाने की योजना बना रही है और कई साझेदारों के साथ काम कर रही है। इस पहल से न केवल भुगतान तेज होंगे, बल्कि वैश्विक वित्तीय लेनदेन का तरीका भी बदल सकता है।