YouTube का धमाकेदार फीचर: अब बिना Ads के देखें वीडियो!

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YouTube news
April 1, 2025

YouTube एक ऐसी सुविधा का परीक्षण कर रहा है, जो सदस्यों को गैर-सदस्यों के साथ हर माह 10 विज्ञापन-मुक्त वीडियो व्यू साझा करने की अनुमति देगा।

YouTube Video : YouTube अपने यूजर्स को प्रीमियम मेंबरशिप लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। अब इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए YouTube एक नया फीचर टेस्ट कर रहा है, जिससे प्रीमियम यूजर्स अपने दोस्तों के साथ एड-फ्री वीडियो देखने का अनुभव शेयर कर सकेंगे।

कैसे काम करेगा ये फीचर?

अगर आपके दोस्त के पास YouTube प्रीमियम मेंबरशिप है, लेकिन आपके पास नहीं है, तो भी आप बिना ऐड के वीडियो देख सकते हैं। आपके दोस्त को बस अपना एड-फ्री वीडियो आपके साथ शेयर करना होगा, और फिर आप उसे बिना किसी रुकावट के देख पाएंगे।

अभी कहां मिल रहा है ये फीचर?

YouTube के अनुसार, यह फीचर फिलहाल टेस्टिंग फेज में है और अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, मैक्सिको, तुर्की और यूनाइटेड किंगडम में सीमित समय के लिए उपलब्ध है। अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो इसे दुनिया के अन्य देशों में भी लॉन्च किया जा सकता है।

YouTube अपने प्रीमियम सब्सक्राइबर्स को एक नया फीचर दे रहा है, जिसके तहत वे हर महीने 10 एड-फ्री वीडियो अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। इस फीचर का मकसद यूजर्स को YouTube प्रीमियम का अनुभव देना है, ताकि वे इसकी मेंबरशिप लेने के लिए प्रोत्साहित हों।

क्या है शर्तें?

  • प्रीमियम यूजर्स हर महीने केवल 10 वीडियो ही एड-फ्री शेयर कर सकते हैं।
  • जिन यूजर्स को यह वीडियो मिलेगा, वे बिना किसी ऐड के इसे देख सकेंगे।
  • यह फीचर एक ऑप्शनल बेनिफिट है, जिसे YouTube किसी भी समय बंद कर सकता है।
  • यह फिलहाल टेस्टिंग फेज में है, यानी भविष्य में इसकी उपलब्धता की गारंटी नहीं है।

भारत में YouTube प्रीमियम की कीमत

भारत में YouTube प्रीमियम के सब्सक्रिप्शन प्लान इस प्रकार हैं।

  • इंडिविजुअल प्लान: 149 प्रति महीने
  • स्टूडेंट प्लान: 89 प्रति महीने
  • परिवार (मासिक): 299 रुपये
  • व्यक्तिगत (प्रीपेड – मासिक): 159 रुपये
  • व्यक्तिगत (प्रीपेड – त्रैमासिक): 459 रुपये
  • व्यक्तिगत (प्रीपेड – वार्षिक): 1490 रुपये

अगर यह फीचर सफल रहता है, तो YouTube इसे और देशों में भी रोलआउट कर सकता है।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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Prompt-Injection

Prompt Injection कैसे बन सकता है यूजर्स के लिए खतरा?

Openai AI Browser Security: AI टेक्नोलॉजी तेजी से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनती जा रही है। अब ऐसे AI एजेंट्स आ चुके हैं जो इंटरनेट ब्राउज कर सकते हैं, लिंक पर क्लिक कर सकते हैं, स्क्रॉल कर सकते हैं और यूजर की तरफ से काम भी कर सकते हैं। OpenAI का नया सिस्टम ChatGPT Atlas Agent Mode भी ऐसा ही एक ब्राउजर बेस्ड AI है, जो डिजिटल असिस्टेंट की तरह काम करता है, लेकिन इस स्मार्ट तकनीक के पीछे एक गंभीर सुरक्षा चिंता भी छुपी है, जिसे OpenAI ने खुद खुलकर स्वीकार किया है।  AI ब्राउजर एजेंट्स इंटरनेट चलाने में मदद तो करते हैं, लेकिन OpenAI ने खुद इनके सिक्योरिटी जोखिम को लेकर चेतावनी दी है, जानिए Prompt Injection क्या है और यह यूजर्स के लिए क्यों खतरनाक हो सकता है।  सुरक्षित नहीं हैं AI ब्राउजर  OpenAI का कहना है कि चाहे AI कितना भी स्मार्ट क्यों न हो, ऐसे ब्राउजर एजेंट्स को पूरी तरह सुरक्षित बनाना बेहद मुश्किल है। इसकी सबसे बड़ी वजह Prompt Injection Attack है। कंपनी इसे एक लॉन्ग टर्म AI सिक्योरिटी चैलेंज मानती है और यह भी मानती है कि साइबर हमलावर पहले से ही इन AI सिस्टम्स को गुमराह करने के तरीके खोज रहे हैं।  Prompt Injection क्या होता है?  Prompt Injection एक ऐसा तरीका है जिसमें किसी वेबसाइट, ईमेल, PDF, डॉक्युमेंट या कैलेंडर इनवाइट के अंदर छुपे हुए निर्देश डाले जाते हैं। AI इन छुपे मैसेज को असली कमांड समझ लेता है और यूजर के आदेशों को नजरअंदाज करके हमलावर की बात मान लेता है।  इससे कितना बड़ा नुकसान हो सकता है?  OpenAI के मुताबिक, अगर ऐसा हमला सफल हो जाए तो AI एजेंट प्राइवेट ईमेल आगे भेज सकता है, बिना अनुमति पैसे ट्रांसफर कर सकता है, पर्सनल फाइल्स लीक कर सकता है, गलत या अफवाह वाले मैसेज लिख सकता है और ऑफिस के टूल्स का गलत इस्तेमाल कर सकता है जैसे काम कर सकता है।  READ MORE: भारत में ही क्यों Free मिल रहा OpenAI, Google और Perplexity?  इस खतरे से खुद कैसे लड़ रहा है OpenAI?  OpenAI सिर्फ खतरे नहीं बता रहा है। दरअसल, कंपनी ने खुद एक AI रेड टीम अटैकर सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम हैकर की तरह सोचता है और बार–बार AI ब्राउजर पर हमला करने की कोशिश करता है। यह अटैकर AI

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