सरकार ने 6GHz स्पेक्ट्रम को लाइसेंस मुक्त करने के संबंध में एक नया नियम तैयार किया है। स्टेक हॉल्डर से 15 जून तक इस नए मसौदा नियम पर टिप्पणी करने को कहा गया है
6GHz Band: भारत में इंटरनेट यूजर्स के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। सरकार ने टेक कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की लंबे समय से चली आ रही मांग मान ली है। अब जल्द ही भारत में WiFi 6 की शुरुआत होने वाली है, जिससे इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी में जबरदस्त सुधार देखने को मिलेगा।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सरकार ने 6GHz स्पेक्ट्रम बैंड को लेकर नया ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। इस ड्राफ्ट के मुताबिक 6GHz फ्रीक्वेंसी बैंड पर काम करने वाले कम पावर और बहुत कम पावर वाले वायरलेस डिवाइस को अब बिना लाइसेंस के इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसका मतलब है कि अब WiFi 6 जैसे तेज और एडवांस नेटवर्क का रास्ता साफ हो गया है।
क्या होगा फायदा?
WiFi 6 टेक्नोलॉजी के लिए 6GHz बैंड जरूरी होता है। इस बैंड के आने से न सिर्फ इंटरनेट की स्पीड बढ़ेगी, बल्कि बड़ी संख्या में डिवाइसेज़ एक साथ बिना नेटवर्क डाउन हुए कनेक्ट रह सकेंगी। इससे घर हो या ऑफिस हर जगह सुपरफास्ट ब्रॉडबैंड एक्सपीरियंस मिलेगा।
- स्पीड: 6GHz बैंड में 2Gbps तक की स्पीड मिल सकती है, जबकि अभी तक 5GHz में अधिकतम 1Gbps की ही स्पीड मिलती है।
- कनेक्टिविटी: नेटवर्क ज्यादा स्टेबल होगा। स्ट्रीमिंग और गेमिंग के दौरान नेटवर्क कटने जैसी दिक्कतें कम होंगी।
- फ्यूचर-रेडी टेक्नोलॉजी: यह स्पेक्ट्रम AR/VR, स्मार्ट ग्लास और हाई-टेक डिवाइसेज को बेहतर तरीके से सपोर्ट करेगा।
कहां नहीं होगा इस्तेमाल?
सरकार ने कुछ जगहों पर इस बैंड के इस्तेमाल पर रोक भी लगाई है। 6GHz बैंड को तेल प्लेटफॉर्म, नाव, गाड़ियां और विमान में (10,000 फीट से नीचे उड़ान के दौरान) इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। ड्रोन्स और बिना पायलट वाले एयरक्राफ्ट में भी इसका उपयोग नहीं किया जा सकेगा।
BIF और बड़ी कंपनियों की मांग पूरी
ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF), जिसमें Meta, Google, Microsoft , Amazon जैसी बड़ी टेक कंपनियां शामिल हैं, उन्होंने सरकार से इस बैंड को डिलाइसेंस करने की अपील की थी। उनका कहना था कि इस नई टेक्नोलॉजी को लागू करने में कंपनियों को हर साल करीब 12.7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
BIF ने हाल ही में टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र भी लिखा था, जिसमें कहा गया था कि नए डिवाइस जैसे Meta Ray-Ban स्मार्ट ग्लास, Sony PS5 और VR हेडसेट्स बेहतर परफॉर्मेंस के लिए WiFi 6 की मांग करते हैं।
आगे क्या होगा?
सरकार ने सभी स्टेकहोल्डर्स से 15 जून, 2025 तक सुझाव मांगे हैं। इसके बाद फाइनल नियम तैयार किए जाएंगे और WiFi 6 की राह पूरी तरह साफ हो जाएगी। सरकार का यह फैसला भारत को डिजिटल रूप से और अधिक मजबूत बना सकता है। जब देश में WiFi 6 जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी आएगी, तो न सिर्फ इंटरनेट एक्सपीरियंस बेहतर होगा, बल्कि स्मार्ट डिवाइस और AI आधारित टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी काफी आसान और प्रभावी हो जाएगा।