Vibe Coding: टेक इंडस्ट्री इन दिनों एक नई बहस से गर्म है। यह बहस शुरू हुई है Zoho के को-फाउंडर श्रीधर वेम्बू और Y Combinator के प्रेसिडेंट गैरी टैन के बीच की चर्चा से है। यह सिर्फ दो लोगों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के भविष्य को लेकर उठ रहे बड़े सवालों का हिस्सा है। इस बहस में सबसे ज्यादा चर्चा जिस शब्द की हो रही है, वह Vibe Coding है। कई लोग इसे कोडिंग का भविष्य बता रहे हैं, जबकि कई लोग अभी भी समझ नहीं पा रहे हैं कि यह असल में है क्या।
Zoho के को-फाउंडर श्रीधर वेम्बू और Y Combinator के गैरी टैन के बीच vibe coding पर बड़ी बहस छिड़ी है। जानें कैसे AI आधारित ऐप बिल्डिंग सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को बदल सकती है।
गैरी टैन का दावा क्या है?
गैरी टैन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि AI ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट को इतना आसान बना दिया है कि कोई भी व्यक्ति कुछ ही घंटों या वीकेंड में अपनी जरूरत का कस्टम ऐप बना सकता है। उनके मुताबिक, Replit, Emergent Labs और Taskade जैसे प्लेटफॉर्म ने ऐप डेवलपमेंट को इतना आसान कर दिया है कि अब नॉन-टेक व्यक्ति भी अपने हिसाब से ऐप बना सकते हैं।
उनका बड़ा सवाल था जब आप AI से अपना कस्टम ऐप वीकेंड में बना सकते हैं, तो फिर महंगे SaaS सॉफ्टवेयर के लिए 30 डॉलर प्रति यूजर क्यों खर्च करें?
टैन के अनुसार, vibe coding की वजह से कंपनियों को महंगे SaaS टूल खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी, टीमें अपनी जरूरत के टूल खुद बना लेंगी और पारंपरिक SaaS कंपनियों की ग्रोथ पर खतरा बढ़ जाएगा। उनका तर्क था कि AI इंसान को इतना सक्षम बना देगा कि वह खुद ही वो सॉफ्टवेयर तैयार कर लेगा, जिसे पहले खरीदना पड़ता था।
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श्रीधर वेम्बू का जवाब
गैरी टैन की बातों का जवाब Zoho के CEO श्रीधर वेम्बू ने तुरंत दिया। उन्होंने कहा कि अगर vibe coding इतना बड़ा खतरा है, तो फिर Zoho जैसी SaaS कंपनी अभी भी 50% से ज्यादा की दर से क्यों बढ़ रही है? उन्होंने कई सवाल उठाए vibe-coded ईमेल ऐप कहां हैं, vibe-coded स्प्रेडशीट अभी तक क्यों नहीं आली और vibe-coded अकाउंटिंग या मैसेजिंग टूल कहां हैं?
वेम्बू ने साफ किया कि Zoho AI को हल्के में नहीं ले रहा है। उन्होंने बताया कि वे खुद AI और कंपाइलर टेक्नोलॉजी को मिलाकर प्रोग्रामर की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने vibe coding पर सबसे बड़ी चिंता जताई सिक्योरिटी, प्राइवेसी और कंप्लायंस। उनका कहना था कि यदि इन चीजों का ध्यान नहीं रखा गया तो vibe coding सिर्फ tech debt बढ़ाएगी और सिस्टम जल्दी खराब हो जाएंगे। उन्होंने VC कंपनियों पर भी तंज कसा।
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आखिर Vibe Coding क्या है?
Vibe Coding का मतलब है कि यूजर सिर्फ अपनी जरूरतें बताता है और AI खुद पूरा ऐप बना देता है। इस मॉडल में कोड AI लिखता है, डिजाइन AI तैयार करता है, लॉजिक AI समझता है, यूजर सिर्फ गाइड करता है। Google के CEO सुंदर पिचाई भी vibe coding को सपोर्ट करते हैं। उनका कहना है कि यह तरीका सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट को आसान और तेज बना देगा।
