बालू के कण जितना छोटा, लेकिन दिमाग हैरान कर देने वाला, जानिए इस नन्हे रोबोट का कमाल

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बालू के कण जितना छोटा, लेकिन दिमाग हैरान कर देने वाला, जानिए इस नन्हे रोबोट का कमाल
December 17, 2025

Micro Robotics: Robotics की दुनिया अब भारी-भरकम मशीनों और फैक्ट्री फ्लोर तक सीमित नहीं रही। विज्ञान ने एक ऐसा मुकाम छू लिया है, बालू के कण जितना छोटा रोबोट चल सकता है। सोच सकता है और उसे समझकर अपने आसपास के माहौल के अनुसार फैसले लेने की क्षमता भी रखता है। दरअसल, अमेरिका की University of Pennsylvania और University of Michigan के वैज्ञानिकों ने मिलकर माइक्रो रोबोटिक्स बनाने की बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ये माइक्रो रोबोट अब दुनिया के सबसे छोटे, पूरी तरह प्रोग्रामेबल और ऑटोनॉमस सिस्टम्स में अपना नाम दर्ज करवा चुका है।

इतने छोटे रोबोट जो रोशनी से चलते हैं और खुद फैसले लेते हैं! मेडिकल से इंडस्ट्री तक इनका असर क्या होगा, जानिए यहां।

सूक्ष्म आकार, लेकिन हैरतअंगेज ताकत

इस Micro Robots का आकार महज 0.2 x 0.3 x 0.05 मिलीमीटर है। यानी छोटे से कण की मोटाई से भी कई गुना छोटा। लेकिन क्षमता के मामले में किसी बड़े सिस्टम से कम नहीं है। इन रोबोट्स में सेंसिंग, बेसिक कंप्यूटिंग और मूवमेंट जैसी जरूरी क्षमताएं समाहित हैं। ये अपने आसपास के तापमान और पर्यावरणीय बदलावों को महसूस कर सकते हैं और उसी के आधार पर अपना व्यवहार बदल लेते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इतनी एडवांस तकनीक होने के बावजूद एक माइक्रो रोबोट की लागत लगभग एक पेनी के बराबर बताई जा रही है, जिससे भविष्य में इनका बड़े पैमाने पर उपयोग संभव हो सकेगा। बता दें कि इस रिसर्च को National Science Foundation से काफी सहयोग मिला है। इसे स्टडीज Science Robotics और Proceedings of the National Academy of Sciences (PNAS) में पब्लिश की गई हैं।

रोशनी से चलने वाला माइक्रो Brain

इन माइक्रो रोबोट्स की असली ताकत है इनका अल्ट्रा लो पावर कंप्यूटिंग सिस्टम। University of Michigan की टीम द्वारा विकसित यह माइक्रो Brain महज 75 नैनोवॉट ऊर्जा पर काम करता है। जो एक सामान्य Smartwatch से लाख गुना कम है। ऊर्जा की इस समस्या का समाधान वैज्ञानिकों ने बेहद चतुराई से किया है। रोबोट के शरीर पर लगाए गए माइक्रो सोलर पैनल रोशनी से ही इन्हें पावर और प्रोग्रामिंग इनपुट दोनों उपलब्ध कराते हैं। यह तकनीक भविष्य के कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स को और भी छोटे, सस्ते और एनर्जी-एफिशिएंट बनाने का संकेत है। University of Michigan के प्रोफेसर डेविड ब्लॉ और डेनिस सिल्वेस्टर की लैब पहले ही सब-मिलीमीटर कंप्यूटर्स पर काम कर चुकी है। इस प्रोजेक्ट में उसी अनुभव का इस्तेमाल किया है।

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तैरने का बिल्कुल नया फिजिक्स

माइक्रो लेवल पर पानी में मूवमेंट किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। इस स्तर पर ड्रैग और विस्कोसिटी का असर इतना ज्यादा होता है कि मूविंग करना मुश्किल हो जाता है। जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इस समस्या का समाधान एक बिल्कुल नए तरीके से निकाला है। ये Micro Robots खुद को धकेलने के बजाय अपने आसपास के पानी को मूव करते हैं। रोबोट एक इलेक्ट्रिकल फील्ड बनाता है, जिससे पानी में मौजूद आयन सक्रिय हो जाते हैं और वही आयन रोबोट को आगे बढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के मूविंग पार्ट्स नहीं होते, जिससे रोबोट ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और लंबे समय तक काम करने योग्य बन जाते हैं।

अकेले भी सक्षम, झुंड में और भी स्मार्ट

इन Micro Robots अकेल चलने तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट की माने तो यह किसी भीड़ या झुंड में भी चल सकता है वो सबके साथ समन्वय बनाकर। और लंबे समय तक पानी में सक्रिय भी रह सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे मछलियां पानी चलती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि माइक्रोपिपेट जैसी साधारण तकनीक से इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा सकता है। और ये महीनों तक पानी में तैरते हुए कार्यशील रह सकते हैं। यह फीचर इन्हें भविष्य की कई जटिल चुनौतियों के लिए बेहद उपयोगी बनाता है।

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मेडिकल से मैन्युफैक्चरिंग में भी कारगर

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तकनीक का सबसे बड़ा असर मेडिकल साइंस में देखने को मिल सकता है। भविष्य में ऐसे माइक्रो रोबोट्स शरीर सेल-लेवल पर निगरानी, टार्गेटेड दवाइयों की डिलीवरी और बेहद सटीक मेडिकल प्रोसीजर में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में भी ये अल्ट्रा प्रिसाइज डिवाइसेज बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

देखें तो यह छोटे से कण के आकार का माइक्रो रोबोट आने वाले समय में विज्ञान, चिकित्सा और उद्योग जहां छोटा होना ही सबसे बड़ी ताकत बन जाएगा।

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