Starlink को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग से Letter of Intent मिला है, जो इस बात का संकेत है कि सरकार ने हरी झंडी देने को तैयार है।
Starlink Satellite Internet: एलन मस्क की कंपनी Starlink को भारत में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए भारत सरकार के दूरसंचार विभाग Letter of Intent यानी आशय पत्र सौंपा है। हालांकि, Starlink को भारत में काम शुरू करने के लिए GMPCS लाइसेंस की जरूरत है। LOI मिलने के बाद अब माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही यह लाइसेंस भी दे सकती है।
डेटा भारत में ही रहेगा
Starlink ने सरकार की एक अहम शर्त को भी मान लिया है डेटा लोकलाइजेशन। इसका मतलब है कि कंपनी भारत में अपने ग्राहकों का डेटा देश के भीतर ही स्टोर करेगी। फिलहाल, भारत में सैटेलाइट इंटरनेट देने का लाइसेंस सिर्फ Jio और Airtel को मिला है। वहीं, Starlink और Amazon जैसी विदेशी कंपनियां लाइसेंस मिलने का इंतजार कर रही हैं। Starlink और SpaceX के अधिकारी हाल ही में कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल से मिले थे। इसके अलावा एलन मस्क और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद भी उम्मीदें और तेज़ हुई हैं।
Starlink को माननी होंगी ये सख्त शर्तें
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने से पहले Starlink को अब कई सख्त नियमों का पालन करना होगा। दूरसंचार विभाग ने हाल ही में सुरक्षा के लिहाज से कई नए निर्देश जोड़े हैं, जिन्हें Starlink जैसी कंपनियों को मानना अनिवार्य होगा।
क्या हैं ये अहम शर्तें?
वेबसाइट ब्लॉकिंग और कानूनी निगरानी: Starlink को भारत सरकार की ओर से बताई गई वेबसाइट्स को ब्लॉक करने और जरूरत पड़ने पर सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी में सहयोग देना होगा।
सीमा के पास स्पेशल सर्विलांस जोन: सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में स्पेशल सर्विलांस ज़ोन बनाना होगा, जहां नेटवर्क की निगरानी और नियंत्रण और अधिक मजबूत होगा।
अनऑथोराइज्ड एरिया में नेटवर्क बंद: यदि कोई यूजर भारत के प्रतिबंधित या बिना इजाजत वाले क्षेत्र में जाता है, तो वहां उसका नेटवर्क अपने आप बंद कर दिया जाएगा।
रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग: जरूरत पड़ने पर Starlink को अपने सभी यूजर टर्मिनल्स की रीयल-टाइम लोकेशन की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को देनी होगी, जिसमें लैटिट्यूड और लॉन्गिट्यूड शामिल होंगे।
डिवाइस की पहचान और वेरिफिकेशन: भारत में केवल उन्हीं डिवाइसेज को सर्विस दी जाएगी जो वेरिफाई और रजिस्टर किए गए हों। कोई भी विदेशी या अनरजिस्टर्ड डिवाइस जब तक भारत में रजिस्ट्रेशन पूरा नहीं करता, तब तक उसे इंटरनेट एक्सेस नहीं मिलेगा।
क्यों जरूरी हैं ये शर्तें?
भारत सरकार इन शर्तों के जरिए यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी सैटेलाइट कंपनी देश की सुरक्षा व्यवस्था और डिजिटल सीमाओं का उल्लंघन न करे। साथ ही इससे यूजर्स की पहचान और लोकेशन का सही रिकॉर्ड भी रखा जा सकेगा0।