भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट का सपना फिर दूर, DCC–TRAI के मतभेद बने रोड़ा

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भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट का सपना फिर दूर, DCC–TRAI के मतभेद बने रोड़ा
November 14, 2025

Satellite Internet: भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस की शुरुआत एक बार फिर अधर में लटक गई है। डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन DCC और ट्राई TRAI के बीच स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर जारी मतभेद अब गंभीर रूप ले चुके हैं। परिणामस्वरूप, Starlink, OneWeb और Jio Satellite Services जैसी बड़ी कंपनियों की लॉन्चिंग योजनाएं फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई हैं।

सैटेलाइट इंटरनेट पर लगा ब्रेक, स्पेक्ट्रम विवाद में अटकी Starlink–OneWeb–Jio की लॉन्चिंग..जानिए क्या है पूरा मामला

स्पेक्ट्रम आवंटन पर फंसा पेंच

16 सितंबर को DCC ने ट्राई की ओर से आई सिफारिशों को अस्वीकार करते हुए उन्हें वापस भेजने की मंजूरी दी थी। DCC का मानना था कि ट्राई की कई सिफारिशें मौजूदा नीति ढांचे से मेल नहीं खातीं और भविष्य में विवाद का कारण बन सकती हैं। हालांकि, दो महीने बीत जाने के बाद भी दूरसंचार विभाग Do) ने ट्राई से कोई औपचारिक स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। नतीजा पूरी प्रक्रिया फाइलों में अटककर रह गई है।

लाइसेंस हैं, लेकिन लॉन्चिंग असंभव

Starlink, OneWeb और Jio को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए लाइसेंस तो मिल चुका है, लेकिन स्पेक्ट्रम के बिना कोई व्यावसायिक सेवा शुरू नहीं की जा सकती। Starlink पहले भी भारत में अपने बीटा लॉन्च की तैयारी कर चुका है, जबकि OneWeb और Jio अपने नेटवर्क की टेस्टिंग कर रहे थे। मगर स्पेक्ट्रम आवंटन में देरी के कारण सभी योजनाओं पर ब्रेक लग गया है। इस देरी की वजह से पूरी प्रक्रिया लटक गई है. न तो ट्राई की ओर से जवाब मांगा गया है और न ही DCC की असहमति पर आगे की कोई कार्रवाई हो पाई है।

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DCC बनाम TRAI बना कारण

ट्राई ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए कुछ ऐसे मॉडल प्रस्तावित किए थे जो अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस पर आधारित थे। लेकिन DCC का कहना है कि ये मॉडल भारत की नीतिगत संरचना से मेल नहीं खाते और इससे भविष्य में रेगुलेटरी चुनौतियां बढ़ सकती हैं। इसी मतभेद ने दोनों संस्थाओं के बीच एक तरह का कम्युनिकेशन गैप पैदा कर दिया है।

हाई-स्पीड नेट की दौर पिछड़ सकता है भारत

जहां पूरी दुनिया Low Earth Orbit सैटेलाइट के जरिये हाई-स्पीड इंटरनेट की दिशा में तेजी से बढ़ रही है, वहीं भारत में प्रक्रिया प्रशासनिक देरी में फंसी है। अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देश पहले ही ऐसे नेटवर्क को सक्रिय कर चुके हैं, लेकिन भारत में अब भी स्पेक्ट्रम की मंजूरी सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है।

सरकार करे पहल

एक्पर्ट का कहना है कि सरकार इस समस्या को सुलझाने ने लिए त्वरित पहल करनी चाहिए। नहीं तो भारत हाई-स्पीड इंटरनेट के मामले काफी पीछे रह जाएगा।

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