जेनेटिक टेस्टिंग और बायोटेक्नोलॉजी कंपनी 23andMe ने दिवालियापन की अर्जी दर्ज की है। कंपनी के पास 1.5 करोड़ लोगों का जेनेटिक डेटा है।
23andMe: जेनेटिक टेस्टिंग और बायोटेक्नोलॉजी कंपनी 23andMe ने आर्थिक संकट के चलते दिवालियापन की अर्जी दायर की है। 2006 में शुरू हुई इस कंपनी पर बीते कुछ समय से मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। पहले कंपनी को Data Breach का सामना करना पड़ा, जिसमें लाखों यूजर्स की पर्सनल जानकारी लीक हो गई।
इसके बाद बोर्ड के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने भी रिजाइन दे दिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। इसके अलावा ड्रग डेवलपमेंट डिविजन के बंद होने के कारण कंपनी की मुश्किलें और बढ़ गई। ऐसे में अब कंपनी नए खरीदारों की तलाश में जुटी है, लेकिन इस पूरी स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि कंपनी के पास मौजूद 1.5 करोड़ लोगों के जेनेटिक और पर्सनल डेटा का क्या होगा?
जेनेटिक डेटा कलेक्ट करती थी कंपनी
23andMe एक जेनेटिक टेस्टिंग कंपनी थी, जो लोगों का डीएनए सैंपल लेकर उनके जेनेटिक डेटा को कलेक्ट करती थी। इस डेटा के जरिए कंपनी यह अनुमान लगाती थी कि उनके पूर्वज कहां से थे, उनके शरीर में कौन सी जेनेटिक विशेषताएं हैं और भविष्य में उन्हें किन बीमारियों का खतरा हो सकता है। इस डेटा में लोगों की काफी सेंसेटिव और पर्सनल जानकारियां होती थी। यही वजह है कि कंपनी के दिवालियापन के बाद इस डेटा को लेकर गंभीर चिंताएं उठ रही हैं। इस ममले को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ लोवा के कॉलेज ऑफ लॉ में प्रोफेसर अन्या प्रिंस ने बताया कि 23andMe की प्राइवेसी पॉलिसी में यह साफ कहा गया है कि अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो उसका डेटा किसी दूसरे कंपनी को ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर इसे बेचा भी जा सकता है। ऐसे में लोगों की पर्सनल और हेल्थ से जुड़ी जानकारियां किसके हाथों में जाएंगी, ये एक बड़ा सवाल बन गया है।
क्या नई कंपनी को माननी होगी प्राइवेसी पॉलिसी?
प्रोफेसर अन्या प्रिंस के मुताबिक, 23andMe की प्राइवेसी पॉलिसी में यह लिखा गया है कि यदि कंपनी किसी दूसरे कंपनी को बेची जाती है, तो नई कंपनी को भी इसी पॉलिसी का पालन करना होगा। सुनने में यह ग्राहकों के लिए राहतभरी बात लग सकती है, लेकिन सच्चाई इससे थोड़ी अलग है। दरअसल, यही प्राइवेसी पॉलिसी यह भी कहती है कि इसे कभी भी बदला जा सकता है। यानी कि भले ही नई कंपनी शुरुआत में पुरानी पॉलिसी को अपनाए, लेकिन बाद में वह इसमें बदलाव करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र होगी और यह बदलाव ग्राहकों की सहमति के बिना भी किया जा सकता है।
ऐसे में डेटा की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो जाते हैं। खासकर तब, जब 23andMe पहले ही डेटा लीक का शिकार हो चुकी है। बता दें कि 2023 में कंपनी का डेटा हैक कर लिया गया था, जिसमें करीब 70 लाख यूजर्स का जेनेटिक और पर्सनल डेटा लीक हो गया था। इस संवेदनशील डेटा को डार्क वेब पर बिक्री के लिए भी डाला गया था।