RBI Crypto Warning: RBI ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी को पैसा या कानूनी मुद्रा नहीं माना जा सकता। RBI के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने Mint Annual BFSI Conclave 2025 में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ कंप्यूटर कोड हैं और इनका मूल्य केवल अनुमान और सट्टेबाजी पर आधारित है।
शंकर ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी मौद्रिक स्थिरता, वित्तीय नीतियों और पूरे वित्तीय सिस्टम के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं इसलिए लोगों को समझदारी से निवेश करना चाहिए और इनका इस्तेमाल सावधानी के साथ करना चाहिए।
RBI ने साफ कहा कि क्रिप्टो पैसा या कानूनी संपत्ति नहीं हैं, जानिए क्यों निवेशक और उपयोगकर्ता सावधान रहें और डिजिटल रुपया क्यों सुरक्षित विकल्प है।
क्रिप्टोकरेंसी पैसा नहीं, केवल सट्टा
टी. रबी शंकर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी में पैसे की सबसे बुनियादी विशेषताएं नहीं हैं। इनका कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है, इन्हें किसी भुगतान के वादे से समर्थित नहीं किया गया है और न ही इनके कोई जारीकर्ता हैं। इनकी कीमत पूरी तरह अनुमान और सट्टेबाजी पर आधारित है।
उन्होंने आगे बताया कि वास्तविक पैसा किसी भरोसेमंद जारीकर्ता और सरकार द्वारा समर्थित होता है। मुद्रा या बैंक जमा राशि भरोसेमंद जारीकर्ता से वादा लेकर आती है और पैसा अपनी विश्वसनीयता उस संप्रभुता से प्राप्त करता है जो उसे समर्थित करती है। क्रिप्टोकरेंसी केवल सट्टेबाजी के आधार पर मूल्य तय करती हैं और इनसे कोई वास्तविक नकदी प्रवाह नहीं होता इसलिए इन्हें वित्तीय संपत्ति नहीं कहा जा सकता।
क्रिप्टो ट्रेडिंग जुआ?
क्रिप्टोकरेंसी के निवेश पर डिप्टी गवर्नर ने कहा कि बिना समर्थित ‘क्रिप्टो गणितीय सट्टा आधारित शुद्ध’ जुआ है। ट्रेडर ज्यादातर कीमत के उतार-चढ़ाव पर दांव लगाते हैं, जो बाजार की घटनाओं या भावना पर आधारित होते हैं न कि वास्तविक आर्थिक आधार पर।
उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए 17वीं सदी के ट्यूलिप मेनिया का जिक्र किया, जब कीमतें केवल सट्टेबाजी से बढ़ीं। इसका मतलब यह है कि क्रिप्टो में लाभ कमाने का तरीका केवल अनुमान और जोखिम पर आधारित है।
स्टेबलकॉइन भी सुरक्षित विकल्प नहीं
Stablecoin के बारे में शंकर ने कहा कि इनमें भी पैसे की बुनियादी विशेषताएं नहीं हैं। Stablecoin में भुगतान का कोई स्पष्ट वादा नहीं है। इनके फायदे स्पष्ट या अनूठे नहीं हैं और इनके जोखिम बहुत वास्तविक हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर Stablecoin बड़े पैमाने पर अपनाए गए, तो यह मुद्रा प्रतिस्थापन, डॉलराइजेशन और मौद्रिक नीति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। Stablecoin पूरी तरह निजी मुद्रा हैं और इनमें सरकार का समर्थन नहीं होता।
क्रिप्टो की कानूनी स्थिति और भारत में नियम
भारत में क्रिप्टोकरेंसी कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं रखती। हालांकि, लोग इन्हें खरीद, बेच और रखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इस पर भारी टैक्स लगता है। यह सरकार की कोशिश है कि क्रिप्टो का इस्तेमाल सीमित रहे, बिना इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किए।
RBI और सरकार का ध्यान अब केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा की तरफ है। डिजिटल रुपया सरकार द्वारा समर्थित है और डिजिटल भुगतान में सुविधा देने के साथ-साथ मौद्रिक स्थिरता भी सुनिश्चित करता है। RBI ने पिछले तीन साल से इसके पायलट ट्रायल किए हैं।
वैश्विक दृष्टिकोण और सतर्कता
शंकर ने कहा कि संप्रभु मुद्राएं केंद्रीय बैंकों और IMF जैसी संस्थाओं के समर्थन से मजबूत होती हैं। निजी डिजिटल टोकन के पास यह समर्थन नहीं होता। कुछ देशों में क्रिप्टो को लेकर थोड़ी सहमति है, जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बिटकॉइन को रिजर्व फ्रेमवर्क के अंदर लाने के लिए आदेश दिए। लेकिन भारत में निगरानी कड़ी है। देश में क्रिप्टो से जुड़े घोटाले और धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
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RBI की चेतावनी जोखिम और स्थिरता
RBI ने साफ किया कि क्रिप्टोकरेंसी न पैसा हैं और न ही वित्तीय संपत्ति। अगर इनका व्यापक स्तर पर उपयोग हुआ, तो यह बैंकिंग प्रणाली को कमजोर कर सकता है। बैंक में जमा राशि कम हो सकती है, फंडिंग लागत बढ़ सकती है और केंद्रीय बैंक पर निर्भरता बढ़ सकती है।
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साथ ही स्टेबलकॉइन का बड़ा इस्तेमाल मौद्रिक नीति और आर्थिक स्थिरता पर गंभीर असर डाल सकता है। इनके कथित फायदे, जैसे तेज और सस्ते भुगतान, ज्यादातर प्रमाणित नहीं हैं। भारत में पहले से ही UPI जैसी सुरक्षित और तेज डिजिटल भुगतान प्रणाली मौजूद है।
