Deutsche Bank: Deutsche Bank की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक 2030 तक बिटकॉइन को अपनी रिजर्व होल्डिंग में शामिल कर सकते हैं। जर्मन वित्तीय संस्था के विश्लेषक Marion Laboure और Camilla Siazon ने इस संभावना का विश्लेषण किया है।
Deutsche Bank की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक केंद्रीय बैंक बिटकॉइन को अपनी रिजर्व होल्डिंग में शामिल कर सकते हैं।
विश्लेषकों ने बिटकॉइन और सोने के बीच समानताएं बताई हैं। दोनों संपत्तियों की कीमत हाल ही में तेजी से बढ़ी है और ये पारंपरिक मुद्राओं से विविधीकरण का विकल्प देती हैं। 2025 में सोने की कीमत लगभग $4,000 प्रति ट्रॉय औंस तक पहुंच गई है, जबकि बिटकॉइन ने इस सप्ताह $125,000 का नया रिकॉर्ड स्तर छुआ। बिटकॉइन की अस्थिरता घटने के साथ इसकी कीमत अधिक स्थिर हुई है, जिससे यह सोने की तरह व्यवहार करने लगी है।
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केंद्रीय बैंक राजनीतिक अनिश्चितता और डॉलर में कमजोरी से बचाव के लिए सोना खरीद रहे हैं। Deutsche Bank का कहना है कि बिटकॉइन भी इसी पैटर्न को फॉलो कर सकता है। जैसे-जैसे बैंक ऐसे संपत्तियों की तलाश करेंगे जो उनके मौजूदा रिजर्व से स्वतंत्र हों, बिटकॉइन अधिक आकर्षक बनता जाएगा।
विश्लेषकों ने बताया कि केंद्रीय बैंकों के लिए बिटकॉइन के फायदे हैं: रिजर्व में विविधीकरण, डॉलर के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक जोखिमों से बचाव। हालांकि, बिटकॉइन को रिजर्व में शामिल करने के लिए स्पष्ट नियामक ढांचा, उच्च तरलता और सुरक्षित रखरखाव की जरूरत है।
कंपनियां भी बिटकॉइन को अपनी बैलेंस शीट में रख रही हैं। Michael Saylor की Strategy जैसी कंपनियां इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। यह प्रवृत्ति बिटकॉइन को संस्थागत स्वीकृति देती है और इसे रिजर्व संपत्ति के रूप में अधिक विश्वसनीय बनाती है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि बिटकॉइन और सोना डॉलर की जगह पूरी तरह नहीं ले सकते, लेकिन डॉलर के मूल्य में गिरावट के बीच इनकी अहमियत बढ़ रही है। बिटकॉइन की अस्थिरता में कमी ने इसे केंद्रीय बैंकों के लिए और भी आकर्षक विकल्प बना दिया है।