H20 चिप्स को चीन में बिक्री के लिए इस तरह डिजाइन किया गया था कि यह पहले से मौजूद व्यापारिक प्रतिबंधों के दायरे में न आए, लेकिन 2024 से इसपर भी रोक लगा दी गई थी।
Nvidia H20 AI Chips: अमेरिका की चिप निर्माता कंपनी Nvidia Corp को चीन में एक बार फिर बड़ी राहत मिली है। कंपनी ने सोमवार को जानकारी दी है कि अब वह अपने H20 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सेलरेटर चिप्स को चीन में बेच सकेगी। इसके लिए अमेरिका सरकार ने H20 चिप की बिक्री के लिए एक्सपोर्ट लाइसेंस को हरी झंडी दे दी है। H20 चिप्स को चीन में बिक्री के लिए इस तरह डिजाइन किया गया था कि यह पहले से मौजूद व्यापारिक प्रतिबंधों के दायरे में न आए, लेकिन 2024 से इसपर भी रोक लगा दी गई थी।
क्या है H20 चिप और इसका महत्व?
H20 चिप Nvidia की AI टेक्नोलॉजी का कम पावरफुल लेकिन इम्पोर्टेंट वर्जन है। इसे चीन के बाजार को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। यह चिप Nvidia की उन हाई पावर AI चिप्स का हिस्सा है जिन्हें अमेरिकी सरकार की मंजूरी के बिना चीन को बेचना मना था। चीन में H20 की बिक्री रुकने से Nvidia को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था क्योंकि बड़ी मात्रा में तैयार माल बिना खरीदारों के रह गया था।
🇺🇸 अमेरिका की नई रणनीति और सरकार की भूमिका
Nvidia के अनुसार, अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि अब H20 चिप्स के लिए एक्सपोर्ट लाइसेंस मिलेंगे। इस फैसले के बाद Nvidia के CEO जेनसन हुआंग ने बताया कि वह जल्द ही चीन को चिप्स की सप्लाई फिर से शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की है और अब बीजिंग में सप्लाई चेन एक्सपो में हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने Nvidia कस्टमरों से कहा है कि नई चाइना-स्पेसिफिक चिप RTX PRO को भी जल्द लॉन्च किया जाएगा। यह चिप तकनीकी सीमाओं के अंदर है। इसके लिए अलग से अमेरिकी मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बाजार पर असर
Nvidia के इस ऐलान के बाद नैस्डैक फ्यूचर्स में तेजी आई है। हॉन्गकॉन्ग और चीनी टेक शेयरों में भी बढ़त देखी गई है। Beijing Sinnet Technology Co. जैसे डेटा सेंटर ऑपरेटर्स के शेयरों में 7.6% तक उछाल आया है।
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इस फैसले का व्यापक असर
एक्सपर्ट का मानना है कि Nvidia का चीन में H20 चिप्स की बिक्री फिर से शुरू करना न सिर्फ कंपनी के लिए बल्कि पूरे AI सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। ऐसा करने से चीन में AI डेवलपमेंट को रफ्तार मिलेगी और अमेरिका-चीन के टेक संबंधों में भी कुछ नरमी देखने को मिल सकती है।