Jeffrey Hinton Breakup: आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिर्फ एक तकनीक नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। जहां एक ओर यह कामकाज आसान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर यह रिश्तों में नई मुश्किलें भी खड़ी कर रहा है। हाल ही में ऐसा वाकया सामने आया जिसने सबको चौंका दिया। इसे खुद AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने शेयर किया।
AI चैटबॉट की राय से टूटे जेफ्री हिंटन के रिश्ते, OpenAI ने बताया क्यों ब्रेकअप या रिश्तों के फैसले AI पर न करें।
AI चैटबॉट से मांगी गई राय और हुआ ब्रेकअप
जेफ्री हिंटन ने एक चौंकाने वाला किस्सा बताया। उन्होंने कहा कि उनकी गर्लफ्रेंड ने एक दिन AI चैटबॉट से यह सवाल पूछा कि ‘जेफ्री क्यों एक बुरे इंसान हैं?’ इसके जवाब में चैटबॉट ने हिंटन के व्यवहार और स्वभाव की आलोचना कर डाली। गर्लफ्रेंड ने चैटबॉट के इस जवाब को सही मान लिया और रिश्ता खत्म कर लिया।
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क्या थी हिंटन की प्रतिक्रिया?
हिंटन ने माना कि चैटबॉट की बात उन्हें गलत लगी लेकिन उन्होंने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगा कि मैंने कुछ गलत किया है। चैटबॉट की राय से मुझे फर्क नहीं पड़ा। बाद में मुझे कोई और मिला जिसे मैं ज्यादा पसंद करता हूं। जिंदगी ऐसे ही चलती रहती है। हिंटन की यह प्रतिक्रिया मजाकिया थी लेकिन इसने एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा किया।
क्या रिश्तों में AI पर भरोसा करना सही है?
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इंसानी रिश्तों में भी AI पर भरोसा करना सही है? रोजमर्रा के कामों में AI ईमेल लिखने, रिपोर्ट बनाने या जानकारी जुटाने में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन रिश्तों जैसे संवेदनशील मामलों में यह इंसान की भावनाओं को पूरी तरह समझ नहीं सकता। चैटबॉट का जवाब सिर्फ डेटा और एल्गोरिदम पर बेस्ड होता है जबकि रिश्ते भावनाओं, अनुभवों और समझ पर टिके होते हैं।
OpenAI ने दी चेतावनी
ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI ने भी लोगों को इस बारे में सचेत किया है। कंपनी का कहना है कि ब्रेकअप, शादी या रिश्तों से जुड़े बड़े फैसले AI से नहीं लेने चाहिए। AI का काम केवल सुझाव देना है यह इंसान की भावनाओं और परिस्थितियों का सही मूल्यांकन नहीं कर सकता।
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ChatGPT का नया नियम
इसी को ध्यान में रखते हुए OpenAI ने हाल ही में ChatGPT में बदलाव किए हैं। अब अगर कोई यूजर पूछे ‘क्या मुझे ब्रेकअप करना चाहिए?’ तो चैटबॉट सीधा हां या ना नहीं कहेगा। इसके बजाय वह सवाल जवाब करके यूजर को सोचने पर मजबूर करेगा, ताकि वह खुद फायदा नुकसान समझकर फैसला ले सकें। इसका उद्देश्य लोगों को सोचने की क्षमता देना है न कि उनके लिए जीवन के बड़े निर्णय लेना।