Deepfakes AI Content: भारत सरकार ने अब Deepfake और AI जनरेटेड कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके तहत अब ‘सिंथेटिक जनित जानकारी’ यानी कंप्यूटर या AI द्वारा बनाई गई ऑडियो, वीडियो और इमेज को कानूनी दायरे में लाया जाएगा।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब सोशल मीडिया पर Deepfake तेजी से फैल रहे हैं। चुनाव आने वाले हैं और AI टूल्स आम हो रहे हैं इसलिए सरकार ने तय किया है कि प्लेटफॉर्म्स को स्पष्ट नियमों के तहत सिंथेटिक कंटेंट की पहचान, लेबलिंग और नियंत्रण करना होगा।
MeitY ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन का ड्राफ्ट पेश किया, जिससे AI और सिंथेटिक कंटेंट को कानूनी दायरे में लाया जाएगा।
सिंथेटिक जानकारी क्या है
ड्राफ्ट में बताया गया है कि सिंथेटिक जानकारी वह कंटेंट है जो कंप्यूटर या एल्गोरिथम के जरिए बनाई, बदली या संशोधित की गई हो और जिसे देखकर लोग इसे वास्तविक मान सकते हैं। इसका मतलब है कि AI जनरेटेड या एडिटेड सामग्री जो लोगों को गुमराह कर सकती है। अब IT नियमों के तहत आएगी।
Deepfake की लेबलिंग जरूरी
सबसे बड़ा बदलाव यह है कि AI जनरेटेड कंटेंट पर लेबल लगाना अनिवार्य होगा। नियम के अनुसार
- लेबल हमेशा दिखना चाहिए।
- वीडियो या इमेज में स्क्रीन के कम से कम 10% हिस्से पर होना चाहिए।
- ऑडियो क्लिप में पहले 10% समय तक स्पष्ट सुनाई देना चाहिए।
इससे AI कंटेंट अब बिना पहचान के नहीं फैल सकता। प्लेटफॉर्म्स इसे हटाने या बदलने की अनुमति नहीं देंगे।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी
बड़ी कंपनियां जैसे YouTube, Instagram, X और Meta को अब यह करना होगा।
- अपलोड से पहले यूजर से पूछना कि कंटेंट AI-जनित है या नहीं
- ऑटोमेटेड टूल्स से कंटेंट की जांच करना
- पुष्टि होने पर स्पष्ट लेबल दिखाना
यदि प्लेटफॉर्म जानबूझकर बिना लेबल वाला कंटेंट अपलोड होने देता है, तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
सुरक्षित माध्यम की सुरक्षा
यदि प्लेटफॉर्म्स यूजर शिकायत पर AI कंटेंट हटाते हैं तो इसे IT एक्ट की सेक्शन 79 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। इससे प्लेटफॉर्म्स सुरक्षित रहेंगे।
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महत्त्व और असर
भारत दुनिया के पहले बड़े देशों में से एक है जिसने AI कंटेंट की स्पष्ट पहचान और लेबलिंग के लिए सख्त नियम प्रस्तावित किए हैं। इसके चलते AI कंपनियां और स्टार्टअप्स अपने टूल्स में वॉटरमार्क, ट्रैकिंग और ऑथेंटिकेशन फीचर्स जोड़ेंगे।
सरकार ने जनता की राय के लिए इस ड्राफ्ट पर 6 नवंबर तक सुझाव मांगे हैं। लागू होने के बाद यह नियम एंटरटेनमेंट, विज्ञापन, राजनीति, समाचार और रोज़मर्रा की डिजिटल बातचीत में AI के इस्तेमाल का ढांचा बदल सकता है।