China AI Plan: अमेरिका और चीन के बीच AI को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। दोनों देश इस क्षेत्र में एक-दूसरे से आगे बढ़ना चाहते हैं। अमेरिका ने AI में अपनी राष्ट्रीय योजना लॉन्च की थी। इसके जवाब में चीन ने अगस्त में AI प्लस प्लान पेश किया था। यह योजना सिर्फ अमेरिका को पीछे छोड़ने तक सीमित नहीं है बल्कि यह 2035 तक चीन को Intelligent Civilization की ओर ले जाने वाला एक दशक लंबा राष्ट्रीय प्रोजेक्ट है।
इस योजना में रोबोट केवल फैक्ट्रियों तक सीमित नहीं रहेंगे। वे घरों में इंसानों के साथी और बच्चों की तरह भी शामिल होंगे। विशेषज्ञ इसे लेकर चिंतित हैं और इसे ‘डिजिटल राक्षस’ कह रहे हैं।
चीन का दशक लंबा AI प्लस प्लान देश को तकनीकी रूप से मजबूत करेगा लेकिन इससे बेरोजगारी, सामाजिक असमानता और निजता पर खतरा भी बढ़ सकता है।
AI अब केवल फैक्ट्रियों में नहीं
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीन में रोबोट तेजी से विकसित हो रहे हैं। साल की शुरुआत में जो रोबोट धीमे चलते थे अब वे AI की मदद से मार्शल आर्ट्स जैसे करतब भी दिखा सकते हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि AI अब सिर्फ मशीन नहीं रही, बल्कि खुद से निर्णय लेने वाली तकनीक बन गई है। यह तकनीक कारखानों के अलावा सामाजिक और सरकारी कामों में भी इस्तेमाल होगी। रोबोट्स को बुद्धिमान साथी के रूप में देखा जा रहा है, जो इंसानों के साथ काम करेंगे।
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AI में मुख्य फोकस
चीन सरकार अब AI को बढ़ावा देने में माता-पिता की तरह भूमिका निभा रही है। पहले जहां केवल जोखिम रोकने पर ध्यान था, अब सरकार डेटा, कम्प्यूटिंग पावर और रोजमर्रा के उपयोग के लिए माहौल तैयार कर रही है। AI अब इंसानों की जरूरतों को समझकर पहले से सर्विस देगा, जैसे फिटनेस प्लान बनाना या शेड्यूल याद दिलाना। रोबोट्स इंसानों की तरह काम कर सकेंगे क्योंकि उन्हें AI की मदद से बेहतर क्षमता मिली है।
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विशेषज्ञों की चेतावनी
इस बदलाव के साथ कई खतरे भी हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे बेरोजगारी बढ़ सकती है क्योंकि रोबोट इंसानों की जगह ले सकते हैं। सामाजिक असमानता बढ़ने का भी खतरा है। इसके अलावा, AI को कानूनी अधिकार देने और उसकी जिम्मेदारी तय करने जैसे मुद्दे भी सामने आए हैं। सरकारी निगरानी बढ़ने से लोगों की निजता खतरे में पड़ सकती है। विशेषज्ञ वांग जियांग इसे डिजिटल राक्षस कह रहे हैं जो गलत इस्तेमाल होने पर नागरिकों को नियंत्रित कर सकता है।