ChatGPT Risk: Artificial Intelligence ने जहां दुनिया को नई रफ्तार दी है, वहीं इसके भविष्य को लेकर चिंता की स्वर भी तेज़ होने लगे हैं। वहीं, इस बहस को और गंभीर बना दिया है दुनिया के मशहूर एआई वैज्ञानिक Joshua Bengio । इन्होंने एक पॉडकास्ट के दौरान चेताया है कि ChatGPT जैसे टूल्स ने मानवता को एक ऐसे कठिन मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां से पीछे हटना भी खतरनाक होगा।
जिस AI ने जिंदगी आसान की, वही बन सकता है खतरा! जानिए पूरे विस्तार से ChatGPT को लेकर वैज्ञानिक क्यों डरे हुए हैं।
बेंगियो क्यों खुलकर बता रहे हैं AI को खतरा?
अब तक शांत और अकादमिक दायरे में रहने वाले Joshua Bengio अचानक एआई के खतरों पर इतना मुखर होकर क्यों बोल रहे हैं? इस सवाल का जवाब उन्होंने एक लोकप्रिय पॉडकास्ट ‘The Diary of a CEO’ में दिया। उनका कहना है कि ChatGPT के लॉन्च के बाद उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि तकनीक उम्मीद से कहीं तेज़ आगे बढ़ रही है और समाज इसके लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। लेकिन हमलोग कुछ प्रयास करें ताकि लोग इन बड़े खतरे से निपट सकें।
ChatGPT क्या दिखा जिससे डर होने लगा है?
बेंगियो के मुताबिक, ChatGPT से पहले तक वैज्ञानिकों को लगता था कि मशीनों को इंसानों जैसी भाषा समझने में अभी कई दशक लगेंगे। लेकिन ChatGPT ने इस धारणा को तोड़कर रख दिया। मशीनों का भाषा को संदर्भ और अर्थ के साथ समझ पाना एक बड़ा मोड़ है, क्योंकि यही वह क्षमता है जिसे मानव बुद्धिमत्ता की बुनियाद माना जाता है। जिसे ChatGPT कि जरिए देख पा रहे हैं।
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बेंगियो को याद आया एलन ट्यूरिंग की भविष्यवाणी
योशुआ बेंगियो ने इस चर्चा में कंप्यूटर साइंस के जनक Alan Turing का भी उल्लेख किया। ट्यूरिंग ने 1950 में चेताया था कि जिस दिन मशीनें भाषा समझने लगेंगी। समझिए उसी दिन वे इंसानों के बराबर सोचने की दिशा में बढ़ जाएंगी। बेंगियो का मानना है कि ChatGPT ने उस भविष्य को काफी करीब ला दिया है। फिलहाल एआई इंसानों जैसी योजना बनाने, नैतिक निर्णय लेने और आत्म-नियंत्रण में पीछे है। लेकिन यही सोच सबसे खतरनाक हो सकती है।
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2023 में ऐसे तकनीक देख हुआ एहसास
उन्होंने बताया कि 2023 की शुरुआत में उन्हें पहली बार यह अहसास हुआ कि इंसान ऐसी तकनीक बना रहा है जो भविष्य में उसके ही खिलाफ खड़ी हो सकती है। यह सोच उन्हें अंदर तक झकझोर गई और तभी उन्होंने तय किया कि अब चुप रहना सही विकल्प नहीं है। वहीं, उन्होंने Robot को इंसान के लिए उतना खतरनाक नहीं बताया जितना एआई तकनीक है।
समय रहते कदम उठाने पर कंट्रोल संभव
कुल मिलकार देखें तो अगर अभी से सही नीतियां, नियम और नैतिक ढांचे बनाए जाएं, तो एआई से जुड़े बड़े खतरों को काफी हद तक रोका जा सकता है। जरूरी है कि सरकारें, वैज्ञानिक और समाज मिलकर जिम्मेदारी से आगे बढ़ें।
