AI की ताकत से बदलेंगे कंसल्टिंग इंडस्ट्री के नियम, McKinsey जैसी बड़ी कंपनियों की पकड़ अब ढीली पड़ने लगी है।
Navin Chaddha: सिलिकॉन वैली की 55 साल पुरानी वेंचर फर्म मेडफील्ड (Mayfield) के मैनेजिंग डायरेक्टर नवीन चड्ढा का मानना है कि AI अब उन क्षेत्रों में बदलाव लाने वाली है, जहां अधिकांश काम इंसानी मेहनत पर निर्भर रहा है। जैसे कानूनी कंसल्ट, मैनेजमेंट कंसल्टिंग और एकाउंटिंग। कुल जमा 5 ट्रिलियन डॉलर का यह विशाल बाजार, चड्ढा के अनुसार, ‘AI टीम‑मेट्स’ की बदौलत ठीक उसी तरह सॉफ्टवेयर जैसी उच्च मार्जिन कमाई कर पाएगा जैसे कभी ई‑बिजनेस या आउटसोर्सिंग ने कारोबारी ढाचों को हिलाकर रख दिया था।
पुरानी लहरों से नई सीख
- मेडफील्ड ने मेनफ्रेम से लेकर मोबाइल: क्लाउड तक हर टेक्नोलॉजी वेव देखी है और हर बार एक ही पैटर्न रहा।
- डिजिटल होना अनिवार्य: 90 के दशक में ऑफलाइन दुकानों को भी क्लिक‑एंड‑ब्रिक बनना पड़ा।
- आउटसोर्सिंग‑ऑफशोरिंग: आईटी‑सर्विसेज की असेंबली‑लाइन ने भारत व अन्य उभरते बाजारों को उछाल दी।
- अब AI की बारी: repetitive काम मशीन करे, इंसान पेंचीदा फैसले लें।
चड्ढा का तर्क है कि अगर 80 % काम AI संभाले और 20 % ह्यूमन एक्सपर्ट, तो संयुक्त रूप से 60–70 % का ब्लेंडेड ग्रॉस मार्जिन और 20–30 % नेट इनकम संभव है, जो पारंपरिक सेवा‑उद्योग के लिए सपने जैसा है।
‘अंडर‑सर्व्ड’ छोटे व्यवसाय
बड़े दिग्गज Accenture, Infosys, TCS से सीधी टक्कर लेने के बजाय, चड्ढा स्टार्टअप्स को अमेरिका के 3 करोड़ और दुनिया भर के 10 करोड़ छोटे‑मोटे उद्यमों पर नजर गड़ाने की सलाह देते हैं। ये कारोबारी रिसेप्शनिस्ट, शिड्यूलर या वेबसाइट बनाने जैसे साधारण से दिखने वाले, लेकिन जरूरी कामों के लिए महंगे नॉलेज वर्कर्स अफोर्ड नहीं कर पाते। यहां AI ‑आधारित ‘सर्विस‑ऐज‑सॉफ्टवेयर’ मॉडल घंटे की फीस नहीं, आउटकम‑आधारित बिलिंग अपनाता है। काम पूरा, तभी पैसा बिल्कुल बिजली या क्लाउड बिल की तरह।
‘सेल्सफोर्स इम्प्लीमेंटेशन? घोड़ा AI, सारथी इंसान‘
किसी कंपनी को सेल्सफोर्स तैनात करनी है। पुराने स्टाइल में कंसल्टेंट टीमें महीनों लगातीं, नए मॉडल में LLM‑पावर्ड बॉट ज्यादातर कॉन्फिगरेशन ऑटोमेट कर देता है। इंसान केवल जटिल कस्टमाइजेशन या क्लाइंट‑रिलेशन पर फोकस करता है। ग्राहक पे पर यूज करता है, इसलिए उसे भी लागत-लाभ साफ दिखता है।
ग्रूव (Gruve) की मिसाल
मई 2025 में मेडफील्ड ने ग्रूव नामक स्टार्टअप में सीरीज‑A निवेश किया। ग्रूव के फाउंडर्स ने पहले दो सर्विस कंपनियां बिना वेंचर कैपिटल के 500 मिलियन डॉलर रेवेन्यू तक पहुंचाई थीं। इस बार उन्होंने पहला कदम एक 5 मिलियन डॉलर के साइबर‑सिक्योरिटी कंसल्टिंग बिजनेस के अधिग्रहण से रखा, फिर AI ‑संचालित तरीके से 6 महीनों में रेवेन्यू 15 मिलियन डॉलर कर दिया, वो भी 80 % ग्रॉस मार्जिन के साथ। क्लाइंट्स (जैसे Cisco) खुश हैं क्योंकि परिणाम स्पष्ट है।
चुनौतियां भी कम नहीं
- विश्वास और संबंध: लॉ फर्म या कंसल्टेंसी में ब्रांड‑साख मायने रखती है।
- नियम‑कानून: डेटा‑प्राइवेसी और पेशेवर दायित्वों को देखते हुए AI ‑टूल्स का प्रमाणन जरूरी है।
- ह्यूमन‑इन‑द‑लूप: 100 % ऑटोमेशन अभी संभव नहीं, इसलिए कुशल मानव‑बल में निवेश जारी रखना होगा।