डिजिटल दुनिया में QR कोड काफी आम हो गया है। डिजिटल पेमेंट से लेकर किसी प्रोडक्ट की जानकारी तक, लगभग सभी जानकारी अब QR कोड के जरिए ही मिलती है।
QR code: आज के डिजिटल दौर में QR कोड हर जगह नजर आता है। फिर चाहे वो सड़क किनारे नारियल पानी वाला हो या मॉल में लगा कोई विज्ञापन, लेकिन क्या आप जानते हैं यह कहां से आया है।
कहां से आया QR Code?
QR कोड की शुरुआत जापान से हुई थी। 1994 में Toyota कंपनी की एक सहायक कंपनी Denso Wave में काम करने वाले इंजीनियर मासाहिरो हारा ने इसे बनाया था। दिलचस्प बात यह है कि इस कोड को बनाने का आइडिया उन्हें एक खेल से मिला। वो जापान का पारंपरिक रणनीति गेम ‘GO’ खेल रहे थे, जिसमें काले और सफेद पत्थर होते हैं। इन्हीं पत्थरों के पैटर्न ने उन्हें एक ऐसा सिस्टम बनाने की प्रेरणा दी, जो बारकोड से भी ज्यादा तेज और ज्यादा जानकारी स्टोर कर सके।
क्यों खास है QR कोड?
QR का मतलब होता है ‘Quick Response’ । इसे इस तरह बनाया गया है कि कोई भी स्कैनर या स्मार्टफोन कुछ ही सेकंड में इसे पढ़ सके। ये कोड पारंपरिक बारकोड की तुलना में ज्यादा डेटा रख सकता है। जैसे टेक्स्ट, लिंक, लोकेशन, फोन नंबर, आदि।
बारकोड के पहले का दौर
1949 में जोसेफ वुडलैंड और बर्नार्ड सिल्वर ने बारकोड टोक्नोलॉजी का आइडिया पेश किया था। उस समय इसमें लाइनों की बजाय गोल घेरे का इस्तेमाल होता था, जो संख्याओं को दर्शाने का तरीका था। हालांकि, शुरुआती तकनीक को अपनाने में कंपनियों को समय लगा, क्योंकि उस समय इसे स्कैन करने के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं थी।
1960 के दशक में जब थियोडोर माइमन ने पहला लेजर डिवाइस बनाया, तब बारकोड स्कैन करना पॉसीबल हो सका। इसके बाद 1970 के दशक में अमेरिका के ग्रॉसरी स्टोर में कर्मचारियों के बढ़ते कोस्ट और सामान की गिनती जैसी समस्याएं सामने आईं। इन समस्याओं को हल करने के लिए IBM ने UPC सिस्टम बनाया। इस सिस्टम का पहली बार इस्तेमाल 1974 में ओहायो के एक सुपरमार्केट में हुआ।
कैसे हुआ आविष्कार?
हारा ने एक नया 2D कोड तैयार किया जो स्क्वायर शेप में होता था और हजारों कैरेक्टर्स को स्टोर करने की क्षमता रखता था। हालांकि, शुरुआत में एक दिक्कत सामने आई। जब QR कोड को किसी अन्य टेक्स्ट या ग्राफिक्स के साथ प्रिंट किया जाता, तो स्कैनर उसे पहचान नहीं पाता था, लेकिन एक दिन, हारा ने सबवे से सफर करते समय आसमान में गगनचुंबी इमारतों को देखा, जो बाकी सब चीजों से अलग और साफ नजर आती थीं। यहीं से उन्हें आइडिया आया QR कोड के तीन कोनों में खास तरह के स्क्वायर ब्लॉक्स जोड़ने का। इससे स्कैनर को कोड को पहचानने में आसानी होने लगी और कोड किसी भी एंगल से स्कैन हो सकता था।
फिर से मिली पहचान
2012 तक दुनिया में लोग मान चुके थे कि QR कोड का समय खत्म हो गया है, लेकिन चीन में स्मार्टफोन यूज के बढ़ने के साथ इसे नई जान मिली। खासतौर पर WeChat ने QR कोड को पेमेंट, प्रमोशन और सर्विस एक्सेस के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया। वहीं, भारत में भी कोरोना महामारी के दौरान जब डिजिटल पेमेंट और टचलेस तकनीक की जरूरत बढ़ी, तब QR कोड की डिमांड बढ़ने लगी। अब यह हर दुकान, रेस्टोरेंट और छोटे-बड़े बिजनेस का हिस्सा बन चुका है। मोबाइल से स्कैन करके पेमेंट करना न सिर्फ आसान हो गया, बल्कि बेहद सुरक्षित भी।