RBI new loan rules 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने छोटे व्यवसायों को राहत देने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन नियमों के तहत अब बैंकों को लोन पर लगने वाले अतिरिक्त ब्याज या स्प्रेड में अधिक फ्लेक्सिबिलिटी दिया गया है। पहले बैंकों को केवल तीन साल में एक बार ही उधारकर्ता के क्रेडिट जोखिम के आधार पर स्प्रेड में बदलाव की अनुमति थी। लेकिन अब बैंक चाहें तो तीन साल की अवधि से पहले भी स्प्रेड के कुछ हिस्सों को कम कर सकते हैं, जिससे उधारकर्ताओं को सीधा फायदा होगा। इसके साथ ही, अब उधारकर्ताओं को लोन रीसेट के समय फिक्स्ड-रेट विकल्प चुनने की सुविधा भी मिलेगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने छोटे व्यवसायों के लिए नई लोन गाइडलाइंस जारी की। अब बैंक स्प्रेड जल्दी घटा सकते हैं, फिक्स्ड-रेट विकल्प मिलेगा और सोना-उद्योग सहित अन्य व्यवसायों को क्रेडिट आसान होगा।
RBI ने सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करने वाले व्यवसायों के लिए भी बड़ी राहत दी है। पहले बैंकों को सोना और चांदी खरीदने के लिए लोन देने की अनुमति नहीं थी, केवल ज्वैलर्स को वर्किंग कैपिटल लोन की सुविधा मिलती थी। लेकिन अब नए नियमों के तहत कोई भी व्यवसाय, जो सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करता है, बैंक से वर्किंग कैपिटल लोन ले सकेगा। इससे ज्वैलरी क्षेत्र के अलावा अन्य उद्योगों के लिए भी क्रेडिट की पहुंच आसान होगी।
Read More: RBI का WhatsApp चैनल हुआ LIVE , जुड़ने के लिए ये टिप्स करें फॉलो
इसके अलावा, RBI ने बैंकों और लोन देने वाले संस्थानों के लिए सात नए निर्देश जारी किए हैं, जिनमें से तीन तुरंत लागू होंगे और चार पर सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। छोटे शहरी सहकारी बैंकों को अब अधिक उधार देने का अधिकार मिला है, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी क्रेडिट की पहुंच बढ़ेगी। साथ ही पूंजी नियमों में ढील दी गई है, जिसके तहत बैंक अब विदेशी मुद्रा और ओवरसीज रुपया बॉन्ड का इस्तेमाल अतिरिक्त टियर 1 कैपिटल के रूप में कर सकते हैं। इससे बैंकों को वैश्विक बाजारों से धन जुटाना आसान होगा।
Read More: RBI: सिर्फ इन दो नंबरों से आएंगे आपके पास बैंकिंग कॉल
क्रेडिट रिपोर्टिंग प्रणाली को भी और तेज बनाया गया है। अब बैंकों को पखवाड़े के बजाय हर हफ्ते रिपोर्टिंग करनी होगी और इसमें यूनिक CKYC पहचान संख्या शामिल होगी। इससे डाटा अधिक सटीक और समय पर उपलब्ध हो सकेगा। इन सभी कदमों का मकसद छोटे व्यवसायों को अधिक सुविधा देना और देश में क्रेडिट सिस्टम को मजबूत बनाना है।