North Korean hackers: उत्तर कोरिया के हैकर्स को दुनिया के सबसे खतरनाक साइबर समूहों में गिना जाता है। ये हैकर्स आम तौर पर सरकारी एजेंसियों और विशेष तकनीकी इकाइयों से जुड़े होते हैं। हालांकि, उनकी वास्तविक लोकेशन का पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि ये अपने सर्वर और ऑपरेशन अक्सर विदेशों में छुपाकर रखते हैं।
उत्तर कोरियाई हैकर्स दुनिया के कई हिस्सों में सक्रिय हैं और साइबर हमलों के माध्यम से आर्थिक और राजनीतिक लाभ हासिल करते हैं।
इन हैकर्स का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और राजनीतिक लाभ हासिल करना है। वे अक्सर अंतरराष्ट्रीय बैंकों, क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म और बड़ी कंपनियों को निशाना बनाते हैं। इसके अलावा, उत्तर कोरियाई हैकिंग समूह राष्ट्रीय सुरक्षा और जासूसी गतिविधियों में भी सक्रिय रहते हैं।
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पिछले कुछ सालों में ये हैकर्स कई देशों में साइबर अपराध के मामलों में शामिल पाए गए हैं। उनकी तकनीक लगातार विकसित हो रही है और वे फिशिंग, मैलवेयर और रैंसमवेयर जैसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनकी पहचान और लोकेशन का पता लगाना और भी कठिन हो गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरियाई हैकर्स के नेटवर्क अक्सर उत्तर कोरिया के बाहर सक्रिय रहते हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय जांच से बचा जा सके। वे एशिया, यूरोप और अमेरिका में सर्वर और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करते हैं।
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कुल मिलाकर, उत्तर कोरियाई हैकर्स की लोकेशन को पूरी तरह सार्वजनिक करना मुश्किल है, लेकिन उनके साइबर हमले और गतिविधियाँ स्पष्ट संकेत देती हैं कि वे दुनिया के कई हिस्सों में सक्रिय हैं। उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगरानी और सुरक्षा उपाय लगातार बढ़ाए जा रहे हैं।