Wi-Fi 6E: भारत में तेज़ इंटरनेट स्पीड का इंतजार और लंबा हो गया है। खबर के अनुसार, दूरसंचार विभाग (DoT) ने 6 GHz स्पेक्ट्रम के निचले हिस्से को बिना लाइसेंस के इस्तेमाल (delicensing) करने के नियमों के नोटिफिकेशन को स्थगित कर दिया है। इस स्पेक्ट्रम को अलॉट करने से Wi-Fi 6E और Wi-Fi 7 जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल संभव हो सकेगा, जो मौजूदा इंटरनेट स्पीड की तुलना में लगभग 10 गुना तेज़ इंटरनेट प्रदान कर सकती हैं।
भारत में Wi-Fi 6E और 7 के लिए इंतजार लंबा, DoT ने 6 GHz स्पेक्ट्रम के नियमों को स्थगित किया। जानें कैसे यह डिजिटल स्पीड को प्रभावित करेगा।
Wi-Fi 6E, Wi-Fi 6 का उन्नत संस्करण है, जिसमें ‘E’ का मतलब है एक्सटेंशन। यह 2.4 GHz और 5 GHz के साथ-साथ 6 GHz बैंड को भी सपोर्ट करता है। इसकी मदद से बड़े डेटा सिग्नल को बेहद कम लेटेंसी के साथ संभाला जा सकता है, जिससे हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के लिए यह बेहद उपयोगी है।
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DoT ने तकनीकी और फील्ड स्टडी के लिए एक कमिटी बनाई है, जो यह जांचेगी कि बिना लाइसेंस के Wi-Fi और प्वाइंट-टू-पॉइंट कनेक्शन इस बैंड में कितने सुरक्षित और व्यावहारिक हैं। मई में विभाग ने स्पेक्ट्रम के निचले हिस्से को बिना ऑक्शन के Wi-Fi के लिए अलॉट करने का निर्णय लिया था, लेकिन अंतिम नियम अभी तक लागू नहीं हुए हैं। इस देरी के कारण भारत में नई Wi-Fi तकनीकें और कम्पैटिबल डिवाइस काम नहीं कर पाएंगे।
मोबाइल ऑपरेटर्स का कहना है कि यह बैंड मोबाइल टेलीफोनी के लिए सुरक्षित रहना चाहिए, जबकि टेक्नोलॉजी कंपनियों और टेलिकॉम इक्विपमेंट मेकर्स का मानना है कि इस बैंड को Wi-Fi के लिए बिना लाइसेंस के खोलना चाहिए। इस विवाद को देखते हुए DoT ने कमिटी बनाकर विस्तृत अध्ययन करने का निर्णय लिया है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि 6 GHz बैंड के खुलने से भारत की डिजिटल प्रगति को नया impulso मिलेगा और घरों तथा ऑफिसों में इंटरनेट की स्पीड को कई गुना बढ़ाया जा सकेगा।