गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कर्मचारियों को साफ संदेश दिया है कि AI अपनाना अब विकल्प नहीं, बल्कि करियर को सुरक्षित रखने की अनिवार्यता है।
Google Warns: गूगल ने अपने कर्मचारियों को साफ़ कर दिया है कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से दूरी बनाना मतलब करियर की दौड़ में पिछड़ जाना है। बिज़नेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी मैनेजमेंट ने कहा है कि चाहे मन हो या न हो, लेकिन हर किसी को AI को अपने काम का हिस्सा बनाना ही होगा। कुछ इंजीनियर्स इस बदलाव से बेहद उत्साहित हैं, तो कुछ बस मजबूरी में साथ चल रहे हैं। लेकिन मैसेज बिल्कुल क्लियर है-AI अब ज़रूरी है।
सिर्फ गूगल ही नहीं, बाकी कंपनियाँ भी दबाव में
सिलिकॉन वैली की लगभग हर बड़ी कंपनी कर्मचारियों पर यही दबाव बना रही है। माइक्रोसॉफ्ट ने जून में साफ कहा था—“AI का इस्तेमाल अब विकल्प नहीं है।” अमेज़न के सीईओ एंडी जैसी ने मेल लिखकर बताया कि आगे चलकर कर्मचारियों की संख्या घटेगी, क्योंकि कई काम अब AI एजेंट्स करेंगे। वहीं शॉपिफाई के फाउंडर टोबी लुटके ने तो साफ कह दिया कि नए स्टाफ की मांग तभी होगी जब टीम साबित करे कि ये काम AI से नहीं हो सकता।
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सुंदर पिचाई का संदेश और गूगल की तैयारी
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने हाल ही की ऑल-हैंड्स मीटिंग में कहा कि अगर गूगल ने रफ्तार नहीं पकड़ी तो प्रतिद्वंद्वी कंपनियाँ आगे निकल जाएँगी। उन्होंने यह भी बताया कि AI टूल्स आने के बाद इंजीनियर्स की साप्ताहिक प्रोडक्टिविटी में पहले ही 10% की बढ़त दर्ज की गई है।
इसी दिशा में कंपनी ने “AI Savvy Google” प्रोग्राम शुरू किया है, जिसमें ट्रेनिंग, टूलकिट और कोर्स दिए जा रहे हैं। इसके अलावा “Cider” नाम का कोडिंग असिस्टेंट भी लॉन्च हुआ है, जिसे आधे से ज़्यादा कर्मचारी इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में गूगल ने Windsurf नामक स्टार्टअप को 2.4 बिलियन डॉलर में खरीदा है ताकि AI की क्षमता और मज़बूत की जा सके।
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कुछ कर्मचारियों को अब भी शक है और वे मानते हैं कि “सचमुच बेहतरीन टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए किसी को मजबूर करने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए।” लेकिन ज़्यादातर को अब साफ समझ आ गया है कि अगर भविष्य की दौड़ में आगे रहना है, तो AI से दूरी बनाना अब संभव नहीं।