IN-SPACe ने ISRO द्वारा विकसित 10 अत्याधुनिक तकनीकों को देश की 6 प्रमुख निजी कंपनियों को ट्रांसफर किया है।
IN-SPACe: भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। IN-SPACe ने ISRO द्वारा विकसित 10 अत्याधुनिक तकनीकों को देश की 6 प्रमुख निजी कंपनियों को ट्रांसफर किया है। यह ट्रांसफर अंतरिक्ष के अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम, और डाउनस्ट्रीम जैसे तीन मुख्य क्षेत्रों को कवर करता है।
इस तकनीकी ट्रांसफर का उद्देश्य न केवल भारत में विकसित स्पेस टेक्नोलॉजी को इंडस्ट्री के लिए सुलभ बनाना है, बल्कि भारत को तकनीकी आत्मनिर्भर बनाने का भी है। खास बात यह है कि अब तक जिन तकनीकों के लिए भारत को विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था, वह अब देश के निजी उद्यमों के जरिए यहीं विकसित और उपयोग की जा सकेंगी।
IN-SPACe और इसकी भूमिका
IN-SPACe की स्थापना जून 2020 में भारत सरकार ने की थी, जब अंतरिक्ष सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने की घोषणा हुई थी। तब से लेकर अब तक 93 से अधिक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर समझौते किए जा चुके हैं। हाल ही में जो 10 तकनीकें ट्रांसफर की गई हैं, उनकी प्रक्रिया NSIL, IN-SPACe और संबंधित निजी कंपनियों के बीच त्रिपक्षीय समझौते के रूप में पूरी की गई।
IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका ने कहा कि भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी की भारी क्षमता है। ISRO के पास दशकों की रिसर्च और इनोवेशन है, जिसे अब इंडस्ट्री के साथ मिलकर आगे बढ़ाने की जरूरत है। यह ट्रांसफर आत्मनिर्भर भारत के स्पेस सेक्टर को मजबूत करेगा।
किन कंपनियों को कौन-सी तकनीकें मिली?
1. Zetatek Technologies, हैदराबाद: ISRO की इनर्शियल सिस्टम यूनिट द्वारा विकसित दो प्रमुख तकनीकें Laser Gyroscope और Ceramic Servo Accelerometer को Zetatek को ट्रांसफर किया गया है। ये तकनीकें उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों में दिशा और गति मापने के लिए इस्तेमाल होती हैं। अब तक इनका आयात किया जाता था, लेकिन अब यह तकनीक देश में उपलब्ध होगी।
2. Avantel और Jisnu Communications, हैदराबाद: ISRO के द्वारा विकसित तीन ग्राउंड स्टेशन तकनीकों का ट्रांसफर दो कंपनियों को किया गया।
- S/X/Ka tri-band dual circular polarised monopulse feed
- Tri-axis antenna control servo system
- Ku/C/L और S Band Cassegrain feed
- ये सभी अत्याधुनिक तकनीकें पहले विदेश से मंगाई जाती थीं। अब भारत में ही इनका निर्माण और उपयोग होगा।
3. Amnex Info Technologies, अहमदाबाद: इस कंपनी को ISRO द्वारा विकसित Pest Forecasting और Crop Yield Estimation जैसी दो भू-स्थानिक मॉडल तकनीकें मिली हैं। इनका इस्तेमाल खेती से जुड़ी समस्याओं को हल करने में होगा।
4. Jalkruti Water Solutions, अहमदाबाद: इस कंपनी को एक पोर्टेबल बाथिमीट्री सिस्टम दिया गया है जो ड्रोन के जरिए जल स्रोतों की गहराई और गुणवत्ता मापने में मदद करेगा।
5. Ramdev Chemicals, अहमदाबाद: ISRO के VSSC द्वारा विकसित सिरेमिक आधारित फ्लेमप्रूफ कोटिंग तकनीक को रामदेव केमिकल्स ने हासिल किया है, जो अब इसे इंडस्ट्रियल एप्लिकेशन में इस्तेमाल करेगा।
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ISRO का साथ मिलेगा
IN-SPACe के टेक्निकल डायरेक्टर राजीव ज्योति ने आश्वासन दिया कि ISRO, NSIL और IN-SPACe तीनों मिलकर इन कंपनियों को पूरी तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन देंगे, ताकि ये तकनीकें सफलतापूर्वक अपनाई जा सकें। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों को आत्मसात करना आसान काम नहीं है। इसके लिए प्रशिक्षण, परीक्षण और निरंतर सहयोग की जरूरत होगी, जो हम इन कंपनियों को मुहैया कराएंगे।