Google Nexus One का यह मिशन आने वाले समय में स्मार्ट डिवाइसों के नए प्रयोगों की राह खोल सकता है।
Google Nexus One smartphone: स्पेस मिशन में बड़े-बड़े रॉकेट्स, सैटेलाइट्स और एस्ट्रोनॉट्स जाते हुए तो आपने कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी आया था जब एक नॉर्मल स्मार्टफोन को अंतरिक्ष में भेजा गया? जी हां… आपने सही सुना, हम बात कर रहे हैं Google Nexus One की, जिसे एक खास मिशन के तहत साल 2013 में स्पेस में भेजा गया था।
कौन था इस मिशन के पीछे?
यह मिशन University of Surrey द्वारा किया गया था। यूनिवर्सिटी के सांइटिस्ट उस समय यह जानना चाहते थे कि क्या एक साधारण स्मार्टफोन भी सैटेलाइट की तरह काम कर सकता है और उसे कंट्रोल कर सकता है। इसके साथ ही यह भी टेस्ट किया गया कि स्पेस में चीखने की आवाज सुनाई देती है या नहीं। इसके लिए एक खास ऐप भी डाला गया था। यही पता लगाने के लिए उन्होंने एक छोटा सा सैटेलाइट तैयार किया, जिसे Strand-1 नाम दिया गया।
क्या था Strand-1?
Strand-1 एक मिनी सैटेलाइट था, जिसकी लंबाई केवल 30 सेंटीमीटर थी। इसे 784 किलोमीटर की ऊंचाई तक पृथ्वी के ऊपर भेजा गया था। इस सैटेलाइट में कोई खास अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी नहीं थी, बल्कि इसमें Google Nexus One स्मार्टफोन USB केबल के जरिए फिट किया गया था।
Nexus One के फीचर्स क्या थे?
Nexus One कोई स्पेशल डिवाइस नहीं था। यह आम लोगों के लिए बना एक स्मार्टफोन था, जिसके फीचर्स उस समय के हिसाब से अच्छे माने जाते थे। इस फोन में 3.7 इंच का डिस्पले, RAM 512MB, बैटरी 1400mAh, 5 मेगापिक्सल रियर कैमरा, OS Android 2.1 और इसकी कीमत करीब 10,000 थी। इस फोन को बिना किसी बदलाव के सीधा सैटेलाइट में फिट कर दिया गया और उसे रॉकेट के जरिए स्पेस में भेजा गया था।
अब कहां है ये फोन?
कई लोगों के मन में सवाल आते हैं कि अब यह फोन कहां गया। हालांकि, इस सवाल का जवाब अभी भी एक रहस्य है। हो सकता है कि यह फोन अब स्पेस में घूम रहा हो या फिर अंतरिक्ष कबाड़ का हिस्सा बन गया हो, लेकिन इतना तय है कि इस अनोखे मिशन ने टेक्नोलॉजी और रिसर्च की दुनिया में एक नया इतिहास जरूर रच दिया।