ETH लिक्विडेशन: क्रिप्टो बाजार एक बार फिर बेतहाशा झटकों की चपेट में है। अक्टूबर 2025 की शुरुआत में कुछ ही घंटों में Ethereum समेत प्रमुख डिजिटल करेंसियों में हुई भारी लिक्विडेशन की लहर ने निवेशकों के होश उड़ा दिए। महज 24 घंटों में ही 19.16 अरब डॉलर की लीवरेज्ड पोजीशनें लिक्विडेट हो गईं। जो क्रिप्टो इतिहास की अब तक का सबसे बड़ा सिंगल-डे लिक्विडेशन बताई जा रही है। इस भारी गिरावट के केंद्र में Ethereum (ETH) रहा, जिसकी कीमतों में करीब 12% तक की गिरावट दर्ज की गई। इस लिक्विडेशन श्रृंखला ने न केवल डेरिवेटिव बाजारों को झकझोर कर रख दिया बल्कि DeFi प्रोटोकॉल, लोन प्लेटफॉर्म और NFT बाजारों तक को काफी प्रभावित किया। ऐसे यह ETH लिक्विडेशन के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है।
24 घंटे में 19 अपू डॉलर की लिक्विडेशन से मचा क्रिप्टों बाजार हड़कंप
जानते हैं आख़िर ETH लिक्विडेशन होता क्या है?
क्रिप्टो ट्रेडिंग में लिक्विडेशन का मतलब है, जब कोई निवेशक उधार लिए हुए धन (Leverage) से ट्रेड करता है और कीमत उसके खिलाफ चली जाती है, तो उसकी गारंटी राशि (Collateral) निर्धारित मार्जिन स्तर से नीचे चली जाती है। ऐसे में नुकसान से बचाने के लिए एक्सचेंज या प्रोटोकॉल स्वतः उस पोजीशन को बंद कर देता है। यही प्रक्रिया ETH लिक्विडेशन कहलाती है। जैसे, अगर कोई ट्रेडर ETH पर 10 गुना लीवरेज लेकर “लॉन्ग” (खरीद) पोजीशन लेता है और कीमत गिर जाती है, तो एक्सचेंज उस ट्रेडर की पोजीशन को जबरन बंद कर देता है। इससे बड़ी मात्रा में ETH की बिकवाली होती है, जिससे बाजार में और अधिक गिरावट आ जाती है।
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कैसे होता है इसका असर
ETH लिक्विडेशन बाजार पर दोतरफा असर डालता है, एक ओर से कीमत गिरने पर लॉन्ग पोजीशन लिक्विडेट होती हैं, यानी खरीदारों को जबरन बेचने पर मजबूर किया जाता है तो वहीं दूसरी ओर कीमत बढ़ने पर शॉर्ट पोजीशन लिक्विडेट होती हैं, यानी बेचने वाले को जबरन खरीदना पड़ता है। दोनों ही स्थितियों में कीमत में तेज़ उतार-चढ़ाव आता है। वहीं जब बड़ी संख्या में लिक्विडेशन एक साथ होती हैं, तो यह कैस्केडिंग इफेक्ट (Cascading Effect) बन जाता है। जहां एक लिक्विडेशन दूसरी को ट्रिगर करती है और पूरा बाजार गिरावट या उछाल की लहर में बह जाता है।
10 अक्टूबर 2025 की सबसे बड़ी लिक्विडेशन
10 अक्टूबर 2025 को हुए रिकॉर्ड लिक्विडेशन ने बाजार अंदर से बाहर तक हिला कर रख दिया था। अमेरिका द्वारा चीन पर नए आयात शुल्क यानी टैरिफ की अचानक घोषणा ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में अफरातफरी मचा दी। इसी दौरान ETH में $118 मिलियन लॉन्ग और $43.85 मिलियन शॉर्ट पोजीशनें लिक्विडेट हुईं। पूरे क्रिप्टो बाजार में कुल $553 मिलियन की पोजीशनें साफ हो गईं, जिनमें लॉन्ग $397 मिलियन और शॉर्ट $157 मिलियन शामिल थीं। Bitcoin भी इसके चपेट आ गया। उसकी कीमत में 14% तक की गिरावटें दर्ज की गई।
ETH लिक्विडेशन क्यों है महत्वपूर्ण
जब बड़ी मात्रा में ETH पोज़िशन लिक्विडेट होती है, तो इसका असर सीधे बाजार पर पड़ता है। अगर किसी बड़े निवेशक की लीवरेज्ड लॉन्ग पोज़िशन खत्म होती है, तो एक्सचेंज ETH बेचता है, जिससे कीमत गिरती है। वहीं शॉर्ट पोज़िशन के लिक्विडेशन पर ETH की खरीदारी बढ़ती है, और दाम तेजी से चढ़ जाते हैं। कम लिक्विडेशन उत्पन्न हो जाती है संकट घटनाएँ अक्सर देखने को मिलती हैं।
ऐसे होता है लिक्विडेशन का फैलाव
तीन प्रमुख चैनलों से लिक्विडेशन पर असर पड़ता है। पहला सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर है, जहां लीवरेज्ड ट्रेडिंग होती है, वहां एक साथ हुई लिक्विडेशन स्पॉट मार्केट में भी बिकवाली का दबाव बनाती है। दूसरा, DeFi और ऑन-चेन लोन प्लेटफॉर्म्स पर। यहांETH कोलेटरल के रूप में इस्तेमाल होता है। जैसे ही कीमत गिरती है, ऑटोमेटेड बॉट्स ETH को बेच देते हैं। इससे गिरावटें और अधिक होती है। वहीं, तीसरा है स्पॉट मार्केट में लिक्विडिटी प्रोवाइडर्स।जब लिक्विडेशन ऑर्डर बढ़ते हैं, तो स्लिपेज बढ़ जाती है। कीमतें और नीचे जाती हैं और नई लिक्विडेशन को ट्रिगर करती हैं। जाती हैं और नई लिक्विडेशन को ट्रिगर करती हैं।
लिक्विडेशन, ट्रेडरों के लिए बड़ी चेतावनी
ETH ट्रेडरों के लिए अब यह घटना भविष्य के लिए बड़ा संकेत दे गया है। जानकारों का कहना है कि जब ओपन इंटरेस्ट बहुत ज्यादा और लिक्विडिटी कमजोर होती है, तब मामूली गिरावट भी बड़े पैमाने पर फोर्स्ड सेलिंग को जन्म दे सकती है। इससे बचने के लिए ट्रेडरों को चाहिए कि लीवरेज सीमित रखें, स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाएं और कोलेटरल पर्याप्त मात्रा में रखें।
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रिस्क कंट्रोल से कैस्केडिंग क्रैश पर विराम
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे एक्सचेंज और प्रोटोकॉल्स अपने जोखिम नियंत्रण Risk Control में सुधार करेंगे, भविष्य में ऐसे “कैस्केडिंग क्रैश” की तीव्रता कुछ हद तक घटेगी। एक्सचेंजों में बेहतर मार्जिन और लिक्विडेशन सिस्टम, DeFi प्रोटोकॉल्स में पारदर्शिता और औसत मूल्य (TWAP) आधारित सेफ्टी सिस्टम, और ओपन इंटरेस्ट व फंडिंग रेट्स की निगरानी और कम लीवरेज, पर्याप्त कोलेटरल रखें और स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग से जोखिम कम किया जा सकता है।
