India Crypto Tax: भारतीय सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी सेक्टर में निगरानी और सख्ती बढ़ा दी है। हाल ही में आयकर विभाग ने उन लोगों को 44,000 से अधिक नोटिस जारी किए हैं जिन्होंने डिजिटल एसेट्स की खरीद-बिक्री की लेकिन अपनी आय को इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया। अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई से कई करोड़ रुपये की छुपी हुई आय सामने आई है।
सरकार ने संसद में बताया है कि 44,000 से अधिक टैक्स नोटिस उन लोगों को जारी किए गए हैं जिन्होंने क्रिप्टो में ट्रेडिंग की लेकिन इसे अपनी ITR में रिपोर्ट नहीं किया। यह संकेत है कि अब ‘छुप-छुप कर ट्रेडिंग करने’ का दौर खत्म होने वाला है।
भारत सरकार ने क्रिप्टो ट्रेडिंग पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। 44,000 से अधिक टैक्स नोटिस जारी किए गए और 888 करोड़ से अधिक की छुपी आय सामने आई।
क्रिप्टो अनियमित है लेकिन निगरानी में
भारत में अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन अधिकारी इस क्षेत्र पर सख्त नजर रख रहे हैं क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी सीमाहीन है, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है। सरकार ने संसद में कहा कि क्रिप्टो एसेट्स के लिए कोई भी प्रभावी नियम अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मानकीकरण के बिना सफल नहीं हो सकता। वास्तविक नियम तैयार होने से पहले ही सरकार के पास कई टूल्स और मैकेनिज्म हैं, जिनकी मदद से अनियमितताओं का पता लगाया जा सकता है और टैक्स चोरी को रोका जा सकता है।
छुपी हुई कमाई का खुलासा
आयकर विभाग की हालिया जांच में लगभग 888.82 करोड़ की क्रिप्टो आय सामने आई है, जिसे पहले कभी रिपोर्ट नहीं किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, वास्तविक ट्रेडिंग गतिविधियों की तुलना ITR डेटा से करने के बाद यह अंतर साफ हुआ। इसके बाद हजारों नोटिस जारी किए गए ताकि क्रिप्टो ट्रेडिंग से लाभ कमाने वाले सभी लोग जवाबदेह बनें।
इस निगरानी के लिए Project Insight विभाग आंतरिक डेटा एनालिटिक्स और क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा दी गई TDS जानकारी का उपयोग कर रहा है। इन रिकॉर्ड्स को ITR डेटा से मिलाकर देखा जाता है ताकि जो लोग टैक्स नहीं भर रहे, उन्हें चिन्हित किया जा सके।
मनी लॉन्ड्रिंग और कानून प्रवर्तन
क्रिप्टोकरेंसी अब मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम 2002 के तहत आती है। इसका मतलब है कि वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स को सभी लेन-देन और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को करनी होती है। इसके बाद रिपोर्ट की समीक्षा की जाती है और जरूरत पड़ने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भेजी जाती है।
ED ने कई डिजिटल एसेट मामलों में कार्रवाई की है। अब तक 4,189.89 करोड़ की संपत्ति जब्त या फ्रीज की जा चुकी है। 29 लोग गिरफ्तार हुए हैं और 22 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें से एक आरोपी को फ्यूगिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर घोषित किया गया है। सरकार ने यह भी याद दिलाया कि बेनामी संपत्ति अधिनियम और ब्लैक मनी एक्ट जैसे अन्य कानून क्रिप्टो निवेश पर लागू होते हैं।
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क्रिप्टो को अन्य एसेट की तरह देखा जाता है
कानून के नजरिए से क्रिप्टो भी किसी पारंपरिक संपत्ति की तरह व्यवहार करता है। अगर कोई इसे छुपाने या किसी और के नाम पर रखने की कोशिश करता है, तो बेनामी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। विदेश में छुपाई गई क्रिप्टो संपत्ति पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो सकती है। सरकार अपने अधिकारियों को ब्लॉकचेन ट्रैकिंग, साइबर लॉ और डिजिटल फॉरेंसिक्स में प्रशिक्षित कर रही है। NFSU गोवा जैसी संस्थाएं उन्हें क्रिप्टो लेन-देन को ट्रेस करने और ठोस इलेक्ट्रॉनिक सबूत इकट्ठा करने में मदद कर रही हैं।
तेजी से बढ़ता क्रिप्टो बाजार
भारत का क्रिप्टो बाजार लगातार बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में क्रिप्टो लेन-देन 51,180 करोड़ पार कर गए, जबकि 2023-24 में यह 36,270 करोड़ और 2022-23 में 22,130 करोड़ थे। अधिक लोग इसे दीर्घकालिक निवेश के रूप में देख रहे हैं।
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TDS संग्रह से बढ़ती पारदर्शिता
क्रिप्टो ट्रेडिंग को ट्रैक करने के लिए सरकार ने 1% TDS लागू किया है।
- FY 2022-23: 221.3 करोड़
- FY 2023-24: 362.7 करोड़
- FY 2024-25: 511.8 करोड़
पिछले तीन सालों में कुल 1,095 करोड़ का संग्रह हुआ है। यह दिखाता है कि अधिक लोग नियमों का पालन कर रहे हैं और अपनी आय को छुपा नहीं रहे।
