IFSECIndia202: दिल्ली के भारत मंडपम में शुरू हुआ IFSEC India 2025 का 18वां एडिशन से इसबार भारत के भविष्य की सुरक्षा रणनीति का सार्वजनिक खाका बनकर सामने आया है। भारत अब मानव-आधारित सुरक्षा मॉडल से टेक्नोलॉजी इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम की तरफ अपना कदम बढ़ा दिया है। इस आय़ोजन में 150 से अधिक प्रदर्शकों 350 से अधिक ब्रांड और 20,000 से ज्यादा सुरक्षा पेशेवरों के बीच शामिल हो रहे हैं। जो बताती है कि अब सिक्योरिटी का भविष्य कैमरों, गार्डों या कंट्रोल रूम में नहीं, बल्कि AI, IoT, डेटा इंटेलिजेंस और क्वांटम-रेडी साइबर डिफेंस में है।
सुरक्षा का नया युग: IFSE India 2025 में सामने आया नेशनल सिक्योरिटी का स्मार्ट मॉडल…जानिए AI, क्वांटम साइबर डिफेंस और स्मार्ट सर्विलांस कैसे नेशनल सिक्योरिटी को नया रूप दे रहे हैं।
2030 तक AI सरकारी डिजिटल ढांचे का बनेगा आधार
AI अब हथियार नहीं, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का ढांचा’ बनने जा रहा है। इस साल का थीम “Shaping Nations, Securing Futures” रखा गया है। उद्घाटन समारोह में जो तकनीकी दिशा रेखांकित हुई, वह भारत की सुरक्षा नीति के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। NICSI के MD आलोक तिवारी का बयान, 2030 तक AI सरकारी डिजिटल ढांचे का फाउंडेशन लेयर बन जाएगा। यह आने वाले वर्षों में AI देश की में AI-बेस्ड नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम्स की ओर बढ़ रहा है। रक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रशासन का बेस इंजन बनने वाला है। इसके अलावे उन्होंने यह भी चौंकाने वाली बात कही कि Operation Sindoor के बाद सरकारी नेटवर्क पर हमले 7 गुना बढ़ गए हैं। यह साफ संकेत है कि भारत को सिर्फ स्मार्ट सिक्योरिटी नहीं, बल्कि स्मार्ट-और-रेजिलिएंट सिक्योरिटी चाहिए।
क्वांटम का खतरा: सुरक्षा का भविष्य समय के खिलाफ दौड़
साथी ही उनका यह भी कहना है कि 2028 तक क्वांटम कंप्यूटिंग मौजूदा एन्क्रिप्शन को अप्रभावी कर सकती है। यह चेतावनी भारत के लिए एक बड़ा सुरक्षा अलार्म है। इसलिए क्वांटम रेजिलिएंट सिक्योरिटी कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। IFSEC India 2025 में इस खतरे को पहली बार इतने खुले मंच पर गंभीरता से उठाया गया।
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जमीन से ज्यादा अब खतरा क्लाउड
पुडुचेरी की IAS अधिकारी स्मृति पद्मा जायसवाल ने जो कहा, वह भारतीय डिजिटल संरचना की सच्चाई को उजागर करता है, साइबर क्राइम: 1 ट्रिलियन डॉलर की इंडस्ट्री। साइबर सुरक्षा, इसका एक छोटा हिस्सा। डिजिटल पेमेंट्स, क्लाउड, AI सब पर हमला संभव है। उनका संदेश स्पष्ट था भारत की सुरक्षा अब फिजिकल से ज्यादा डिजिटल फ्रंट पर लड़ी जाएगी।
तेजगति से बढ़ रहा है सरक्षा बाजार
वहीं, Informa Markets के MD योगेश मुद्रास ने बताया कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा बाजार 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और 14-18% की तेज़ रफ्तार से बढ़ रहा है। गति बढ़ाने के पीछे जिन प्रोजेक्ट्स का हाथ है, वे भी भारतीय सुरक्षा ढांचे को आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इनमें सेफ सिटी प्रोजेक्ट्स, मेट्रो विस्तार, स्मार्ट ऑफिस, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन, AI-संचालित सर्विलांस।
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IFSEC 2025 में पहली बार दिखाई दी कई कंपनियां
IFSEC India 2025 में पहलीबार कई बड़ी कंपनियां शामिल होती हुई दिखाई दी है। इन कंपनियों में CP PLUS, Hikvision, Honeywell, Bosch शामिल है। वहीं, Dahua AI इनेबल्ड कैमरा सिस्टम्स, फेसियल और बिहेवियरल रिकॉग्निशन, ड्रोन सर्विलांस, मिशन-क्रिटिकल कंट्रोल रूम सॉल्यूशंस और IoT-बेस्ड सिक्योरिटी टेक्नोलॉजी लेकर पहुंची। कई सिस्टम इंटीग्रेटर्स और एंटरप्राइज सिक्योरिटी फर्म्स ने भी रियल-टाइम एनालिटिक्स, AI इमरजेंसी रिस्पॉन्स और क्लाउड-बेस्ड सिक्योरिटी ऑपरेशंस के डेमो दिए।
इवेंट नहीं, भारत की सुरक्षा रणनीति का नक्शा
पहले दिन का समापन IFSEC India Awards से हुआ। लेकिन असली महत्व उन चर्चाओं का है जो आने वाले सत्र में होंगी। RBI डिजिटल फ्रॉड पर, Meta ऑनलाइन कंटेंट मॉडरेशन पर और MeitY द्वारा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढांचे पर अपनी रणनीतियाँ रखेंगे। यह पहली बार है जब भारत की सुरक्षा के इतने विविध स्तंभ एक ही मंच पर आ रहे हैं। यह भारत की समग्र सुरक्षा नीति के टेक्नोलॉजी आधारित भविष्य का संकेत है।
