2025 में भारत का डेटा सेंटर सेक्टर क्यों बना गेम चेंजर

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2025 में भारत का डेटा सेंटर सेक्टर क्यों बना गेम चेंजर
December 24, 2025

India Data Centre: भारत का डेटा सेंटर उद्योग 2025 में एक बड़े बदलाव के दौर में पहुंच गया है। बीते 5 सालों में इस सेक्टर की क्षमता 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ चुकी है। जहां 2020 में भारत की डेटा सेंटर क्षमता करीब 0.5 GW थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर लगभग 1.6 GW हो गई है। यह तेजी भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूत होती नींव को दिखाती है।

भारत में डेटा सेंटर क्षमता 2025 तक 3 गुना से ज्यादा बढ़ गई है, जानिए कैसे AI, रिन्यूएबल एनर्जी और बड़े निवेश इस सेक्टर को आगे बढ़ा रहे हैं।

इंटरनेट यूजर्स और AI ने बढ़ाई मांग

डेटा सेंटर ग्रोथ की सबसे बड़ी वजह है भारत में डेटा की खपत में भारी उछाल। 2017 के मुकाबले अब डेटा कंजम्पशन करीब 30 गुना बढ़ चुका है। भारत में इस समय लगभग 90 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। इसके साथ ही AI का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है। AI ऐप्स और टूल्स को ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत होती है, जिससे बड़े और पावरफुल डेटा सेंटर्स की मांग लगातार बढ़ रही है।

2025 में बड़े ऐलान और भारी निवेश

2025 में डेटा सेंटर सेक्टर में कई बड़े निवेश देखने को मिले हैं। Reliance इंडस्ट्रीज ने जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर बनाने की घोषणा की है। इसके साथ Nvidia के साथ मिलकर 1 GW का AI डेटा सेंटर भी तैयार किया जाएगा।

TCS ने भी HyperVault नाम से एक बड़ा प्रोजेक्ट घोषित किया है, जिसके तहत अगले 5 सालों में 1 से 1.2 GW क्षमता जोड़ी जाएगी। वहीं, OpenAI ने भी भारत में 1 GW डेटा सेंटर क्षमता के लिए प्रतिबद्धता जताई है।

Bernstein के अनुसार, 2025 में डेटा सेंटर सेक्टर में कुल 63 अरब डॉलर के निवेश की घोषणाएं हुईं। अगर इसमें से Relianceको अलग भी कर दें, तब भी निवेश 43 अरब डॉलर के आसपास बैठता है।

मुंबई बना भारत का डेटा सेंटर हब

2025 की पहली छमाही में हाइपरस्केल कंपनियों ने करीब 98 मेगावॉट क्षमता लीज पर ली है। इस दौरान डेटा सेंटर्स की ऑक्यूपेंसी करीब 97% बनी रही। मुंबई इस सेक्टर का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है, जहां भारत का लगभग आधा डेटा सेंटर क्षमता मौजूद है। इसका मुख्य कारण मुंबई की मजबूत अंडरसी केबल कनेक्टिविटी है, जो इंटरनेशनल डेटा ट्रैफिक के लिए बेहद जरूरी है।

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बिजली और रिन्यूएबल एनर्जी से मिली रफ्तार

डेटा सेंटर्स के लिए बिजली सबसे अहम फैक्टर बनती जा रही है। FY24–25 में भारत ने रिकॉर्ड 30 GW रिन्यूएबल एनर्जी जोड़ी, जो दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। AI डेटा सेंटर्स को सामान्य डेटा सेंटर्स के मुकाबले 5 से 6 गुना ज्यादा बिजली की जरूरत होती है। ऐसे में सस्ती सोलर एनर्जी और सरकारी सपोर्ट भारत को अमेरिका और यूरोप से ज्यादा आकर्षक बना रहे हैं, जहां पावर कनेक्शन और परमिट मिलने में काफी समय लगता है।

IT के बाहर भी बड़ा बिजनेस मौका

डेटा सेंटर निवेश का लगभग 45% हिस्सा IT के अलावा कंस्ट्रक्शन, कूलिंग, इलेक्ट्रिकल सिस्टम और अन्य उपकरणों पर खर्च होता है। इससे EPC कंपनियों, कूलिंग सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स, वायरिंग और पावर इक्विपमेंट कंपनियों के लिए बड़े अवसर बन रहे हैं। भारत में L&T, Cummins, Voltas और Polycab जैसी कंपनियां इस सेक्टर में मजबूत स्थिति में हैं।

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2030 तक बड़ी ग्रोथ

अनुमान है कि डेटा सेंटर सेक्टर की कमाई 2025 में 1.5 अरब डॉलर रहेगी, जो 2030 तक बढ़कर 8 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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