इस देश ने अमेरिका से पहले उतार दिया अंतरिक्ष में एआई सैटेलाइट…अब हो रही चर्चाएं

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December 1, 2025

AI Satellite: चीन और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष में एआई की होड़ अब सिर्फ तकनीकी मुकाबला नहीं रह गया है। यह तो भविष्य के वैश्विक डेटा सिस्टम की दिशा तय करने वाली जंग बन चुकी है। इस दौड़ में  चीन ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका की ओर से हालही में भेजे NVIDIA H100 चिप से लैस कॉम्पैक्ट एआई सैटेलाइट से पहले ही चीन यह करामात कर चुका है। चीन ने एक पूरी तरह स्वायत्त AI Satellite अंतरिक्ष में तैनात कर दिया हैष। जो न सिर्फ डेटा को पढ़ती है बल्कि अंतरिक्ष में ही तस्वीरें समझकर नई इमेज भी तैयार कर सकती है।

अंतरिक्ष में एआई की जंग तेज, इस देश ने एआई सैटेलाइट से दुनिया को चौंकाया। 2026 में आने वाला है सबसे बड़ा स्पेस सुपरकंप्यूटर।

चीन का ‘इन-ऑर्बिट इंटेलिजेंस’ मॉडल

दिसंबर 2024 में लॉन्च की गई चीन की सैटेलाइट ‘डोंगफांग हुईयान गाओफेन 01’ को एक साधारण स्पेसक्राफ्ट नहीं माना जा रहा। इसका असली प्रयोग इस बात का परीक्षण था कि क्या भविष्य में सैटेलाइट धरती पर डेटा भेजने के बजाय खुद ही निर्णय ले सकती है। इसके भीतर लगा JigonGPT मॉडल यह साबित कर चुका है कि एआई को केवल पृथ्वी-आधारित सर्वरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं। यह पहली सैटेलाइट है जिसने अंतरिक्ष में रहते हुए फोटो का विश्लेषण किया। संदर्भ समझा और फिर नई छवियां भी तैयार कीं। यह क्षमता सिर्फ इमेज प्रोसेसिंग नहीं, बल्कि ऑर्बिट पर मौजूद एक स्वायत्त एआई ब्रेन की शुरुआत है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट माने तो यह काम अमेरिका के सैटेलाइट भेजने से पहले  ही हो गया था। वैज्ञानिक हान यिन्हे ने कहा कि हमने सबसे पहले अंतरिक्ष में जेनरेटिव AI की ताकत साबित की है।

डिजिटल ह्यूमन का अंतरिक्ष से सीधा संवाद

इस सैटेलाइट का एक अनोखा प्रयोग दुनिया का ध्यान खींच गया। इससे बनाया गया डिजिटल ह्यूमन का अवतार सीधे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर लोगों से बात कर रहा है। इसका जवाब देने का समय बेहद तेज है क्योंकि डेटा का पूरा प्रोसेसिंग चक्र पृथ्वी पर वापस आने के बजाय वहीं अंतरिक्ष में पूरा होता है। यह मॉडल भविष्य बताता है जहां उपग्रह सिर्फ निगरानी ही नहीं लाइव कम्युनिकेशन और निर्णय प्रणाली का हिस्सा बनेंगे।

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चीन की मजबूरी ने खोला नई तकनीक द्वार

अमेरिकी से चीन को उच्चस्तरीय चिप्स नहीं मिल पाईं। लेकिन इस कमी ने उसे एक नई दिशा दी। चीनी वैज्ञानिकों ने अपना हाई-स्पीड GPU सिस्टम तैयार किया। फिर एक ही सैटेलाइट में कई GPU जोड़कर एक ऐसा इन-ऑर्बिट कंप्यूटेशन प्लेटफॉर्म विकसित कर दिया। इसे आगे चलकर स्पेस सुपरकंप्यूटर कहा जा सकता है। इसी लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि चिप का तापमान, बिजली की लागत और स्थिरता ये तीनों बड़ी चुनौतियां थीं लेकिन इसका भी हमलोगों ने समाधान निकाल लिया है।

अंतरिक्ष में चंद सकेंडों में निर्णय

हान का कहना है कि अभी तक दुनिया भर की सैटेलाइट तस्वीरें धरती पर भेजती हैं, जहां उनका विश्लेषण होकर चेतावनियां जारी की जाती हैं। इस प्रक्रिया में समय अधिक लगता है। चीन जिस सिस्टम पर काम कर रहा है, वह बाढ़ या भूकंप जैसे अन्य प्राकृतिक आपदाओं में सेकंडों में निर्णय लेने की क्षमता रखता है। उन्होंने, उदाहरण के तौर कहा कि अगर बाढ़ का पानी किसी इलाके में फैलने लगे तो एआई सैटेलाइट तुरंत खतरे को पहचानकर ऑटोमेटेड अलर्ट भेज सकती है।

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अमेरिका की लंबी छलांग और चीन की शुरुआती बढ़त

अमेरिका की कंपनी Star Cloud ने नवंबर 2025 में फ्रिज-साइज की अपनी एआई सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजकर दुनियां को अपना दम दिखा दिया है। एलन मस्क ने भी 2026 के बाद Starlink आधारित इन-ऑर्बिट डेटा सेंटर बनाने की योजना की घोषणा कर दिया है। लेकिन मौजूदा समय में चीन आगे दिखाई दे रहा है लेकिन आनेवाले दिनों में देखना होगा की कौन किसपे भारी होता है।

2026 में अंतरिक्ष में एआई रहेगा जलवा

अगले वर्ष चीन एक ऐसे स्पेस प्लेटफॉर्म को भेजने की तैयारी में है जिसमें कई GPU एक साथ मिलकर पूर्ण सुपरकंप्यूटिंग क्षमता देंगे। साथ ही अंतरिक्ष के माहौल के लिए विशेष रूप से तैयार की गई नई चिप भी तैयार हो जाएगी। इसका मतलब है कि 2026 के बाद अंतरिक्ष में एआई की क्षमता पृथ्वी से कई गुणा ज्यादा हो जाएगी।

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