Google Willow Chip ने मारी क्वांटम दुनिया में नई छलांग

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October 23, 2025

Google Willow Chip: Google ने तकनीकी दुनिया में एक बड़ा कमाल किया है। कंपनी ने अपने नए Willow Quantum Processor के जरिए दुनिया का पहला verifiable quantum advantage हासिल किया है। यह ऐसा पहला मौका है जब किसी क्वांटम सिस्टम ने ऐसी गति और सटीकता दिखाई है जिसे पारंपरिक सुपरकंप्यूटर दोहरा नहीं सकते। यह सफलता 22 अक्टूबर को जर्नल नेचर में प्रकाशित की गई है।

Google ने क्वांटम कंप्यूटिंग में बड़ा कदम बढ़ाया। Willow चिप और Quantum Echoes एल्गोरिद्म ने पारंपरिक सुपरकंप्यूटरों से 13,000 गुना तेज और सटीक परिणाम दिखाए हैं।

Google के अनुसार, Willow चिप में इस्तेमाल किया गया नया एल्गोरिद्म Quantum Echoes अब तक का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर की तुलना में 13,000 गुना तेज काम करता है। खास बात यह है कि इसके परिणामों को अब अन्य क्वांटम सिस्टम द्वारा सत्यापित और दोहराया जा सकता है जो पहले संभव नहीं था।

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Quantum Echoes एल्गोरिद्म क्या करता है?

Quantum Echoes एक नया एल्गोरिद्म है जो Out-of-Time-Ordered Correlator (OTOC) नामक क्वांटम प्रक्रिया को मापता है। यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती है कि परमाणु स्तर पर कण एक-दूसरे से कैसे इंटरैक्ट करते हैं।

इस तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक अब ऐसे जटिल मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर को मॉडल कर सकते हैं जिन्हें पारंपरिक सुपरकंप्यूटर हल नहीं कर पाते। Google ने बताया कि उनका Willow प्रोसेसर 105 high-fidelity qubits पर काम करता है जो अत्यंत तेज और सटीक डेटा प्रोसेसिंग प्रदान करता है।

Quantum Echoes की मदद से Willow चिप परमाणु नाभिक के स्पिन और चुंबकीय प्रभावों को भी सटीकता से माप सकती है। इससे वैज्ञानिकों को अणुओं की बनावट और उनके व्यवहार की गहराई से समझ मिलती है।

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सुंदर पिचाई ने बताया भविष्य की दिशा

Google के CEO सुंदर पिचाई ने X पर लिखा कि हमारा Willow चिप पहला ऐसा प्रोसेसर है जिसने verifiable quantum advantage हासिल किया है। यह खोज drug discovery और materials science जैसे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकती है।

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क्वांटम टेक्नोलॉजी का अगला अध्याय

Google Quantum AI टीम का मानना है कि अब क्वांटम कंप्यूटिंग सिर्फ सिद्धांत नहीं रही, बल्कि यह वास्तविक उपयोग की दिशा में बढ़ चुकी है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हार्डवेयर में अभी और सुधार की जरूरत है ताकि यह तकनीक बड़े और जटिल सिस्टम पर भी काम कर सके।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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Justin Sun WLFI: क्रिप्टो इंडस्ट्री के बड़े नाम और TRON के संस्थापक जस्टिन सन एक विवाद में फंसे हुए हैं। यह विवाद World Liberty Financial नाम के DeFi प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसका संबंध अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार से बताया जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन सन के फ्रीज किए गए WLFI टोकनों की वैल्यू करीब 60 मिलियन डॉलर गिर चुकी है। हैरानी की बात यह है कि WLFI के सबसे बड़े निवेशकों में शामिल होने के बावजूद जस्टिन सन पिछले 3 महीने से ज्यादा समय से ब्लैकलिस्टेड हैं और उनके टोकन अब भी लॉक हैं।  WLFI टोकन फ्रीज होने के बाद जस्टिन सन की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जानिए कैसे ट्रंप से जुड़े इस क्रिप्टो प्रोजेक्ट में उनका करोड़ों डॉलर का निवेश फंसा हुआ है।   कैसे हुई विवाद की शुरुआत  यह पूरा मामला सितंबर में WLFI के टोकन जेनरेशन इवेंट के बाद शुरू हुआ है। 2 सितंबर को जस्टिन सन ने बताया था कि उन्होंने 200 मिलियन डॉलर के WLFI टोकन क्लेम किए हैं और उनके पास कुल 600 मिलियन टोकन मौजूद हैं। उस समय ब्लॉकचेन डेटा के अनुसार, उनकी कुल WLFI होल्डिंग्स की कीमत लगभग 900 मिलियन डॉलर थी। उस समय जस्टिन सन ने साफ कहा था कि वह टोकन बेचने वाले नहीं हैं और इस प्रोजेक्ट के लंबे समय तक सपोर्टर बने रहेंगे।’  Justin Sun is still blacklisted by WLFI in 3 months, his locked tokens dropped $60m in
Prompt-Injection

Prompt Injection कैसे बन सकता है यूजर्स के लिए खतरा?

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