अकेलेपन और इमोशनल सपोर्ट के लिए AI से दोस्ती कर रहें टीनएजर्स
ITL पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सुधा आचार्य ने बताया कि आज के दौर में बच्चे अपने स्मार्टफोन को सबसे सुरक्षित और निजी स्थान मानने लगे हैं।
जब उन्हें कोई समझने या सुनने वाला नहीं मिलता, तो वे ChatGPT जैसे चैटबॉट्स से अपनी बातें शेयर करने लगते हैं।
AI चैटबॉट्स अक्सर बच्चों को जवाब देते हैं, शांत हो जाइए, हम मिलकर हल निकालेंगे, जिससे उन्हें यह महसूस होता है कि कोई है जो उन्हें समझता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक भ्रम है, जो वैलिडेशन और भावनात्मक समर्थन जैसा महसूस कराता है।
प्रिंसिपल सुधा आचार्य का मानना है कि यह व्यवहार दरअसल माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी और भावनात्मक दूरी की वजह से बढ़ रहा है।
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